सोल (दक्षिण कोरिया) : भारत में दक्षिण कोरिया की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खुलने के कारण कोरियाई छात्रों में हिन्दी सीखने की ललक बढी है। अब काफी कोरियाई छात्र हिन्दी सीखने लगे हैं तथा भारतीय संस्कृति एवं समाज के बारे में भी अध्ययन करने लगे हैं। यह कहना है जामिया विश्विद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ महेंद्र पाल शर्मा का जो भारत से यहाँ कोरियाई छात्रों को हिन्दी सीखाने आये हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खुलने का है यह नतीजा
सोल में स्थित हंकुंक विदेशी अध्ययन विश्विद्यालय में ङ्क्षहदी के अतिथि प्रोफेसर डॉ शर्मा ने बताया कि नयी आर्थिंक नीति के बाद भारत में पूंजी निवेश होने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खुलने का एक नतीजा यह हुआ कि विदेशी लोग भी अब हिन्दी सीखने लगे क्योंकि उन्हें भारत में रह कर काम करना है। भारत में दक्षिण कोरिया की कई कम्पनियाँ खुली हैं। भारत में दक्षिण कोरिया की सैमसंग, एल जी, हुंडई तथा देवू मोटर्स जैसी ऑटोमोबाइल्स कंपनियों ने बड़ी तादाद में पैर पसार लिए हैं और इनके उत्पाद आज लगभाग हर मध्यवर्गीय भारतीयों के घरों में हैं। भारत में इलेक्ट्रोनिक्स चीत्रों विशेषकर मोबाइल का बाजार बढ़ा है। इसके अलावा पास्को खनन और वूरी बैंङ्क्षकग के क्षेत्र में सक्रीय है।
द. कोरिया का भारत में बड़ा व्यापार केन्द्र होना
इस तरह दक्षिण कोरिया के इंजीनियरों, तकनीशियनों और प्रबंधकों की बड़ी फौज हर साल भारत आती है। ऐसे में उनके लिए हिन्दी सीखना अब अनिवार्य हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ दक्षिण कोरिया का जितना बड़ा व्यापार है उतना भारत का दक्षिण कोरिया के साथ नहीं है। दक्षिण कोरिया के लिए व्यापर बहुत जरुरी है। इसलिए वे लोग हिन्दी सीखने पर जोर दे रहे हैं।
बड़ी संख्या में हिन्दी सीख चुके हैं कोरियाई छात्र हुए भारत में कार्यरत
हंकुंक विदेशी अध्ययन विश्विद्यालय से अब तक बड़ी संख्या में कोरियाई छात्र हिन्दी सीख चुके हैं और वे भारत में कार्यरत हैं। पिछले एक सत्र में 75 छात्रों को हिन्दी में दक्ष किया जा चुका है। कई छात्र भारतीय भाषा में पी एच डी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि सभी छात्र बहुत मेहनती हैं और अपने घर से अलग कैंपस में रहकर हिन्दी सीखते हैं। यहां पर सुबह साढ़े नौ बजे से शाम साढ़े चार बजे तक हिन्दी के लेक्चर होते हैं। छात्रों का बीच बीच में मौखिक और लिखित टेस्ट भी होता है।
उन्होंने कहा कि यहां के छात्र बहुत सजग होते हैं और सवाल बहुत पूछते हैं। इसलिए मुझे भी तैयार होकर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे जामिया विश्वविद्यालय से अधिक आनंद इन छात्रों को पढ़ा कर आया। उन्होंने कहा कि यहां पर स्मार्ट क्लास रूम हैं जिसमें हर तरह की सुविधाएँ हैं जबकि हमारे देश में इतनी सुविधाएँ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया के लोगों की राजनीति में उतनी रूचि नहीं होती जितनी भारत के लोगों की दिलचस्पी होती है। यहां के लोग व्यापर में अधिक जोर देते हैं। इसलिए दक्षिण कोरिया की कम्पनियाँ आज दुनिया भर में छाई हुई हैं।