माले: मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आज देश में 15 दिन के लिये आपातकाल लगा दिया। यह कदम देश में गहराते राजनैतिक संकट के बीच उठाया गया है। यामीन के सहायक अजीमा शुकूर ने इसकी घोषणा की। यह कदम सुरक्षा बलों को संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की असीम शक्ति प्रदान करता है। भारत ने मालदीव के संकट पर चिंता व्यक्त की है और लोगों से कहा है कि जरूरी ना हो तो वहां की यात्रा पर ना जाएं।
Political crisis in Maldives continues, demand for President’s resignation grows
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— ANI Digital (@ani_digital) February 5, 2018
पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम गिरफ्तार
इसके साथ ही मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को उनके अलग हो चुके सौतेले भाई और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा देश में आपातकाल लगाए जाने के थोड़ी देर बाद ही देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। गयूम की पुत्री युम्ना मौमून ने ट्विटर पर बताया कि 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से ले जाया गया। गयूम 2008 में देश का पहला लोकतांत्रिक चुनाव होने से पहले 30 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे।विपक्ष के साथ थे और अपने सौतेले भाई को अपदस्थ करने के लिए अभियान चला रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह अपने फैसले में कैद में बंद विपक्षी नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया था। इसके बाद से ही यह गतिरोध शुरू हुआ। राष्ट्रपति यामीन ने अदालत की आलोचना की थी। विपक्ष राजधानी माले की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है और सैनिकों को संसद भवन के पास तैनात किया गया ताकि सांसदों को बैठक करने से रोका जा सके। न्यायालय ने अपने फैसले में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत अन्य राजनैतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। नशीद राष्ट्रपति यामीन के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं। यामीन ने इससे पहले मंगलवर को अदालत को भेजे गए पत्र में कहा था कि न्यायालय के आदेश ने राज्य की शक्तियों में अतिक्रमण किया है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित का उल्लंघन है। उन्होंने अदालत से सरकार की चिंताओं की समीक्षा करने का अनुरोध किया था। यह पत्र यामीन के कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी किया गया। अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष अदालत ने कई भेजे गए पत्रों का उचित जवाब नहीं दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, विपक्ष केे नेताओं को दोषी ठहराने का फैसला राजनीति से प्रेरित था
उच्चतम न्यायालय ने रविवार को एक वक्तव्य में कहा था, ‘‘फैसले को लागू करने में कोई बाधा नहीं है और इससे महाभियोजक कार्यालय को अवगत करा दिया गया है।’’ उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि नेताओं को दोषी ठहराने का फैसला राजनीति से प्रेरित था। इस फैसले के बाद विपक्षी समर्थकों ने आदेश का पालन करने के लिए सरकार से अपील करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
पुलिस और विपक्ष समर्थकों के बीच संघर्ष शुरू
पुलिस और विपक्ष समर्थकों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है. सैनिकों ने सांसदों को घुसने से रोकने के लिए संसद भवन पर कब्जा कर रखा है। संयुक्त राष्ट्र अैर अमेरिका समेत कई देशों ने मालदीव से अदालत के आदेश का सम्मान करने को कहा है। यह दूसरा मौका है जब यामीन ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की है. उन्होंने इससे पहले नवंबर 2015 में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी, जब उनकी कथित तौर पर हत्या किये जाने का प्रयास किया गया था।
देश की संसद अनिश्चितकाल के लिए निलंबित
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति को दो दिन के भीतर आपातकाल लगाने की घोषणा के बारे में संसद को सूचित करने की आवश्यकता है, लेकिन अधिकारियों ने देश की संसद को अनिश्चितकाल के लिये निलंबित कर दिया है. उच्चतम न्यायालय ने गत गुरुवार को 12 सांसदों की सदस्यता बहाल कर दी थी। ये सांसद यामीन की पार्टी से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे। इससे 85 सदस्यीय संसद में विपक्ष का बहुमत हो गया था और राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाए जाने का खतरा मंडराने लगा था। राष्ट्रपति यामीन ने इन राजनैतिक कैदियों को रिहा करने से मना कर दिया है।
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