बीजिंग : एक समय दुनिया में सबसे महंगी नस्ल माने जाने वाले तिब्बती मास्टिफ कुत्तों की कीमतों में भारी गिरावट के कारण अब इन्हें हजारों की संख्या में तिब्बत और आसपास के प्रांतों में लावारिस छोड़ दिया गया है।
हिमालयी क्षेत्र के इस नस्ल के कुत्तों की कीमतें चीनी बाजार में लाखों डॉलर रही है लेकिन चिंगहई प्रांत और दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में इनकी कीमतों में गिरावट के कारण अब ये लावारिस छोड़ दिए गए हैं। इनके लावारिस घूमने के कारण स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है और उनके सामने अपने पालतू पशुओं की सुरक्षा की चुनौती आ खड़ी है।
चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि तिब्बती मास्टिफ बाजार में अपनी किस्मत चमकाने वाले लोगों ने अब अपने कुत्तों को छोड़ दिया है जिससे हजारों कुत्ते मंदिरों और गांवों में घूम रहे हैं, लोगों और पशुओं पर हमला कर रहे हैं। मंगोलियाई कुत्तेे की नस्ल तिब्बती मास्टिफ तिब्बत, चीन, भारत, मंगोलिया और नेपाल की खानाबदोश संस्कृति की उत्पत्ति है। मंगोलिया की स्थानीय जनजातियां भेडिय़ों, तेंदुओं, भालूओं और बाघों से भेड़ों की रक्षा करने के लिए तिब्बती मास्टिफ का इस्तेमाल करती थीं।
तिब्बत में लावारिस घूम रहे कुत्तों पर ध्यान देने वाले शियान आधारित पशु रक्षा समूह के प्रमुख जियान होंग ने अखबार को बताया कि कई चीनी शहरों ने बड़ी नस्ल वाले कुत्तों पर प्रतिबंध लगा दिया जिसके कारण इन कुत्तों की लोकप्रियता खत्म हो गई। बीजिंग और शंघाई समेत कई शहरों ने नागरिकों पर 35 सेंटीमीटर या उससे अधिक ऊंंचाई वाले कुत्तों को पालने पर रोक लगा दी है।