सीरिया संकट के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत स्टेफन डे मिस्तूरा ने बुधवार को सीरिया में शांति और राजनीति प्रक्रिया की बहाली की अपील की। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने मिस्तूरा के सुरक्षा परिषद में दिए बयान के हवाले से बताया, ‘सीरिया और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के बीच स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तर पर शांति महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि इससे जुड़े निर्णायक लोग यहां दोबारा व्यापक नियम लागू कर सकते हैं।’ उन्होंने चेतावनी दी कि सीरिया में हालिया हिंसा में इजरायल और ईरान के शामिल होने से स्थिति 1973 से भी बदतर हो सकती है।
जेनेवा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उन्होंने इदलिब प्रांत में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इदलिब ने पूर्वी घौता की घटना को दोहराया तो परिणाम और घातक होंगे। सीरियाई सरकार द्वारा दमिश्क के निकट विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी घौता पर आक्रमण करने के बाद सीरियाई सेना द्वारा वहां नियंत्रण करने से पहले ही बड़े स्तर पर लोगों का विस्थापन हुआ था।
उन्होंने परिषद को बताया, ‘हम पिछले दो महीनों में पश्चिमोत्तर सीरिया और यूफ्रेट्स शील्ड के क्षेत्रों से विस्थापित हुए 1,10,000 लोगों की बात कर रहे हैं। उनमें से कई लोग सदमे में हैं जिन्हें तत्काल सहायता और सुरक्षा की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर हम इदलिब में घौता की बात करें तो यह छह गुना बदतर है, मैं फिर दोहराता हूं छह गुना। वहां के 23 लाख लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें से आधे लोग पहले से ही आंतरिक रूप से विस्थापित हैं, जिनके पास कहीं और जाने की जगह तक नहीं है।’ उन्होंने चेतावनी दी कि इदलिब या पश्चिमोत्तर के अन्य इलाकों में संघर्ष बढ़ना केवल सीरिया के लोगों के लिए बल्कि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भी खतरनाक साबित होगा।
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