अमेरिका ने कहा है कि उसने 2001 में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में चीन की सदस्यता का समर्थन कर गलती की थी और अपनी अर्थव्यवस्था को उदार, खुली तथा बाजारोन्मुखी बनाने में वह विफल रहा है तथा अब चीनी व्यापारिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए कड़ी नीतियां बनाई जा रही हैं। राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाऊस की एक रिपोर्ट में कल कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि डब्ल्यूटीओ में चीन के प्रवेश का समर्थन कर अमेरिका ने गलती की है क्योंकि वह अपने बाजार को खुला,बाजारोन्मुखी तथा व्यापार अनुकूल बनाने में नाकाम रहा है।
ट्रंप प्रशासन ने डब्ल्यूटीओ के प्रति चीन की प्रतिबद्वता को लेकर कांग्रेस को सौंपी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि अब यह साफ हो जाता है कि संगठन के नियम कानून बाजारों को तोड़ने वाली चीन की नीतियों पर रोक लगाने में सक्षम नहीं है। इस समय विश्व की इन दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को लेकर काफी तनातनी है और अमेरिका का कहना है कि चीन बौद्विक संपदा कानून का उल्लंघन कर रहा है तथा आने वाले दिनों में धारा 301 से जुड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
इस रिपोर्ट में रूस के रूख पर भी टिप्पणी की गई है कि वह भी डब्ल्यूटीओ की बाध्यताओं का पालन नहीं कर रहा है।अमेरिकी अधिकारियों ने इसे बहुत ही समस्या पैदा करने वाली आदत बताया है। व्हाइट हाऊस के अधिकारियों के मुताबिक चीन के साथ की गई बातचीत के बावजूद वह अर्थव्यवस्था को बाजारोन्मुखी बनाने में विफल रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी कर रहा है।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति और उनके प्रधान सलाहकार इस बात को लेकर सहमत है कि यह समस्या काफी दिनों से चली आ रही है और अब इस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। अधिकारियों के मुताबिक ट्रंप प्रशासन इस बात पर भी विचार कर रहा है कि क्या विदेशों से आयात किए जाने वाली स्टील, एल्यूमीनियम, वाशिंग मशीनों और सोलर पैनल से अमेरिकी कंपनियों के व्यापार को कोई नुकसान हो रहा है और बौद्विक संपदा की कथित चोरी का मामला भी राष्ट्रपति के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इससे अमेरिकी कंपनियों के हित ही प्रभावित हो रहे हैं।
कल जारी की गई इस रिपोर्ट में श्री ट्रंप के व्यापारिक प्रतिनिधि ने कहा बड़ी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वैश्विक व्यापार नियमों की अनदेखी किए जाने से विश्व व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है खासकर ऐसी अर्थव्यवस्थाएं जो अपने बाजारों को उदार तथा मुक्त नहीं बना रही है। अधिकारियों का कहना है’ हम सिर्फ यही चाहते हैं कि सभी देश अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक प्रकिया में जिम्मेदार तरीके से अपनी भूमिका का निर्वहन करे।’
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये की पंजाब केसरी अन्य रिपोर्ट