e-commerce: पहली तिमाही के लिए कराधान के मुद्दे का समाधान हो जाएगा, लेकिन दूसरी तिमाही के लिए अंतिम दिशानिर्देश जुलाई में आने वाले बजट में दिए जाएंगे। दोनों देशों ने नवंबर, 2021 में एक समझौता किया था, जिसके तहत नई दिल्ली को 31 मार्च, 2024 तक या बहुराष्ट्रीय कंपनियों और सीमा पार डिजिटल लेनदेन पर कर लगाने के लिए OECD समझौते के पिलर 1 के कार्यान्वयन तक 2% शुल्क लगाने की अनुमति दी गई थी।
डिजिटल कर की तारीख बढ़ी
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ई-कॉमर्स आपूर्ति पर 2 प्रतिशत समानीकरण शुल्क या डिजिटल कर को 30 जून तक बढ़ाने पर सहमति जताई है। 8 अक्टूबर, 2021 को, दोनों देश OECD/G20 समावेशी ढांचे के 134 अन्य सदस्यों (ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम सहित) के साथ अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से उत्पन्न कर चुनौतियों का समाधान करने के लिए OECD/G20 के दो-स्तंभ समाधान पर वक्तव्य पर सहमति बनाने में शामिल हुए।
24 नवंबर, 2021 को, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने सहमति व्यक्त की कि 21 अक्टूबर के संयुक्त वक्तव्य के तहत लागू होने वाली वही शर्तें भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सेवाओं की ई-कॉमर्स आपूर्ति पर 2% समानीकरण शुल्क के भारत के शुल्क और उक्त समानीकरण शुल्क के संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका की व्यापार कार्रवाई के संबंध में लागू होंगी।
इस समझौते की वैधता 1 अप्रैल 2022 से लेकर पिलर वन के क्रियान्वयन तक या 31 मार्च 2024 तक थी, जो भी पहले हो। 24 नवंबर के वक्तव्यों पर दोनों पक्षों द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयानों में यह कहा गया था। 15 फरवरी, 2024 को, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम ने 21 अक्टूबर के संयुक्त वक्तव्य में निर्धारित राजनीतिक समझौते को 30 जून, 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया।
वित्त मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है, “उपरोक्त घटनाक्रमों के मद्देनजर, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 24 नवंबर के वक्तव्यों में दर्शाए गए समझौते की वैधता को 30 जून, 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया है। संक्रमणकालीन दृष्टिकोण की अन्य सभी शर्तें समान रहेंगी।”
(Input From ANI)
नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।
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