दिल्ली

संसद के विशेष सत्र में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले विधेयक पर इतना बवाल क्यों हो रहा है

Desk Team

इस साल मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया जिसमं कहा गया था कि पारदर्शिता के साथ चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती हो । इसको लेकर एक कानून बनया जाएगा। इसे कानून के दायरे मे लाने के लिए केंद्र सरकार 18 सितंबर से होने वाले विशेष सत्र में इस विधेयक को पेश करेगी । लेकिन विपक्ष इस विधेयक का पहले से ही विरोध कर रहा है जिसके बाद से ही इस बिल की खुब चर्ची हो रही है

चुनाव आयुक्त की नियुक्ती को लेकर बदलाव

बता दें 2015 से चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले को लेकर फ़ैसला सुनाया था। सभी याचिकाओं को एक करके सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सरकार के नियंत्रण से बाहर होनी चाहिए।

10 अगस्त को राज्यसभा में पेश हुआ था बिल

वहीं जस्टिस के.एम. जोसेफ़ की संवैधानिक पीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाए, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे। इस फ़ैसले के बाद मॉनसून सत्र में 10 अगस्त को मोदी सरकार ने राज्यसभा में एक बिल भी पेश कर दिया जिसका नाम था मुख्य निर्वाचन आयुक्त और इस विधेयक पर राज्यसभा में जमकर हंगामा भी हुआ था.

इस बिल को लेकर बवाल क्यों

हंगामा इसलिए किया गया था कि जो कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि नियुक्ती के लिए जो कमेटी में विपक्ष के नेता और न्यायाधीश होंगे लेकिन केंद्र सरकार चुनाव आयुक्त की नियुक्ती के लिए बनाई गई समिती की कमान पीएम और प्रजीडेंट को देने की बात कही गई जिसका विरोध हो रहा है। इसलिए विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार चुनाव आयोग को अपनी कठपुतली बनाना चाहती है। उन्होंने इस विधेयक को असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक बताते हुए इसका विरोध किया।

विशेष सत्र में चुनाव आयोग बिल होगा पेश

बता दें 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है जिसमें इन बिलों को पास करने की तैयारी है। इसके अलावा और कौन से बिल पेश किए जाएंगे उनकी जानकारी भी केंद्र सरकार ने बुलेटिन में बताया है। राज्यसभा के बुलेटिन के मुताबिक़ संसद के विशेष सत्र में तीन बिल पर चर्चा होगी। लोकसभा में भी दो बिल पर चर्चा होगी। राज्यसभा में जिन विधेयकों पर चर्चा होगी उनमें एक विधेयक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाला भी है जिसे राज्यसभा में पहले ही पेश किया जा चुका है।