संपादकीय

गरीबों के लिए रामबाण है ‘एजुकेशन लोन’

भारतीय शिक्षा जो मूल रूप से गुरुकुल पर आधारित थी, की पहुंच आज दुनियाभर के अग्रणी देशों में है।

Kiran Chopra

भारतीय शिक्षा जो मूल रूप से गुरुकुल पर आधारित थी, की पहुंच आज दुनियाभर के अग्रणी देशों में है। मेडिकल सर्विसेज हो या आईआईटी हो या अन्य प्रोफेशनल सर्विस हो भारतीय शिक्षा ग्रहण कर चुके लोग अपनी क्वालिफिकेशन के दम पर दुनियाभर में भारत का परचम ऊंची सैलरी के साथ भी लहरा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उच्चस्तरीय शिक्षा जब प्रोफेशनल रूप धारण करती है तो वह बहुत महंगी हो जाती है लेकिन यह भी सच है कि हमारे देश में एक मजदूर, ऑटो चालक या माली या फिर एक फेरी लगाने वाले का बेटा कम्पीटिशन में टॉप कर सीए बनता है या​ फिर बड़ा अधिकारी बनता है। उसका जीवन स्कूली, काॅलेज तथा कम्पीटिशन स्तर पर अधिक तंगी से गुजरा होता है।

आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल सर्विसेज के लिए फीस और अन्य खर्चे लाखों में जाते हैं। ऐसे में अगर मोदी सरकार शिक्षा लोन को सरल बना देती है तो इसकी जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम है। शिक्षा को लेकर पीएम विद्यालक्ष्मी एक नयी योजना है जिसे दो दिन पहले मोदी सरकार ने स्वीकृति दे दी है और इस मंजूरी के साथ ही स्टूडेंट्स के जीवन में उच्चस्तरीय शिक्षा ग्रहण करने के लिए आर्थिक तंगी कोई रुकावट नहीं रहेगी। अब कोई गारंटर स्टूडेंट्स को नहीं चाहिए बल्कि भारत सरकार जितना लोन होगा उस पर 75 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी देगी। इसके साथ ही 10 लाख तक का एजुकेशन लोन उच्चस्तरीय शिक्षा में स्टूडेंट्स ले सकेंगे और सरकार ने तय किया है कि वह 7.5 लाख रुपये तक के लोन पर खुद गारंटी देगी। यह एक स्वागत योग्य पहल है।

कम्पीटिशन बहुत सख्त है और स्टूडेंट्स सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में टॉप टेन में शामिल होने के लिए जान लड़ा देते हैं और शिक्षा की तैयारी के लिए बहुत भारी कीमत खर्च करनी पड़ती है। ऐसे में सरकार की गारंटी पर एजुकेशन लोन की सुविधा एक बहुत बड़ा पग है। हालांकि इसके लिए सरकार ने नियम तय किये हैं। अगर किसी परिवार की वार्षिक आय आठ लाख रुपये तक है और उन्हें कोई सरकारी स्कॉलरशिप नहीं मिल रही तो उनके परिवार के छात्र-छात्राएं दस लाख तक का लोन ले सकते हैं। कुल 75 प्रतिशत पर गारंटी सरकार की होगी और इसके साथ तीन प्रतिशत ब्याज की छूट भी मिलेगी। मेरा यह मानना है कि होनहार छात्र-छात्राओं की आर्थिक मदद करनी ही चाहिए। यह एक अच्छा प्रयास है जिसके परिणाम बाद में रोजगार के क्षेत्र में भी सकारात्मक रूप से मिलते हैं। हालांकि कई  सामाजिक संगठन शिक्षा के क्षेत्र में होनहार छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं।

इस कड़ी में हमारा जे.आर. मीडिया इंस्टीट्यूट जो पत्रकारिता को समर्पित है, के तहत मासकॉम में डिग्री की व्यवस्था भी है और इसके साथ ही अगर छात्र मेधावी है तो उनके लिए अमर शहीद लाला जगत नारायण जी और शहीद शिरोमणि श्री रमेशचंद्र जी के नाम पर स्कॉलरशिप योजना भी है। बल्कि मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए बहुत जल्द हम महान संपादक श्री अश्विनी कुमार मिन्ना मैमोरियल मेधावी स्कॉलरशिप योजना भी ला रहे हैं।

इन सबके पीछे जो छात्र डिजर्विंग हैं और कुछ करना चाहते हैं ऐसे में उनके मार्ग में अगर कोई आर्थिक संकट है तो उसे दूर करना हमारा फर्ज है। देखा जाये तो विदेशों में स्टूडेंट्स जहां संपन्न भी हैं लेकिन शिक्षा महंगी है इसके लिए लोन वैधानिक रूप से स्वीकृत हो जाते हैं। हमारे यहां इस पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी मिल गयी है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मैं स्पष्ट करना चाहूंगी कि यद्यपि सरकारी स्कूलों और सेंटर स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था है लेकिन प्राइवेट स्तर पर शिक्षा बहुत महंगी है और आज की तारीख में हमारे देश के बच्चे शत्-प्रतिशत परिणाम ला रहे हैं और हर स्ट्रीम में ला रहे हैं। ऐसे में उन्हें प्रमोट तो किया जाता है लेकिन स्कूली स्तर पर शिक्षा अगर दसवीं या बारहवीं तक सस्ती भी है तो प्राइवेट क्षेत्र में बहुत महंगी है। मेरी सरकार से विनती है कि छात्र-छात्राओं को आर्थिक रूप से स्कूली स्तर पर ही प्रमोट कर दिया जाये तो एक बड़ी आर्थिक दिक्कत दूर हो जायेगी। यद्यपि हमारी शिक्षा नीति अच्छे परिणाम वाली है लेकिन फिर भी मेरा मानना है कि सरकारें शिक्षा के व्यापक स्वरूप को महंगाई के डंक से बचाकर चलती हैं तो सोने पर सुहागा हो जायेगा। खुशी इस बात की है कि सरकार कदम-कदम पर इस चीज को सोचने वाली है। ऐसे में भारतीय शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राएं दुनियाभर में टॉप रैकिंग के दम पर टॉप ही रहेंगे ऐसा मेरा विश्वास है।