संपादकीय

सपा : प्रत्याशी चयन में पीडीए को तवज्जो

Shera Rajput

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मर्तबा लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवाराें के चयन में एक रणनीतिक बदलाव की अगुवाई की है। उनके इस प्रयास को मुस्लिम-यादव समर्थक पार्टी की छवि से दूर अपनी पार्टी की छवि को एक नया स्वरूप देने के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी ने गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लुभाने के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन करते समय स्थानीय जाति समीकरणों और अपने 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के नारे को ध्यान में रखा, जो आबादी का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा है। सपा द्वारा अब तक घोषित 57 उम्मीदवारों में से केवल चार मुस्लिम हैं और चार यादव समुदाय से हैं। अधिकांश उम्मीदवार सामान्य, अनुसूचित जाति (एससी) और गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पृष्ठभूमि से हैं।
पार्टी ने रामपुर, कैराना, संभल और गाजीपुर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, आज़मगढ़, बदायूं, फिरोजाबाद और मैनपुरी से यादव समुदाय के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसने सामान्य श्रेणियों के नौ, अनुसूचित जाति के 15 और ओबीसी के 29 उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। इसमें जाट, गुर्जर और निषाद समुदाय के उम्मीदवारों को भी शामिल किया गया है। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि उनके तीन चचेरे भाई-धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव और आदित्य यादव-क्रमशः आजमगढ़, फिरोजाबाद और बदायूं लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, एसपी 62 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस के लिए 17 और टीएमसी के लिए एक सीट छोड़ी जाएगी।
सहारनपुर में गरजी प्रियंका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में अपने पहले रोड शो में कृषि ऋण, चुनावी बाण्ड, बेरोजगारी और नोटबंदी को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। एक बड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश पर शासन करने वाले लोग 'सत्य' या 'मां शक्ति' के नहीं, बल्कि केवल 'सत्ता' (शक्ति) के उपासक हैं। रोड शो में बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी के झंडे और बैनर लहराते हुए उत्साही कांग्रेस सदस्यों के साथ मार्च करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही हैं और अगर पार्टी उन्हें अनुमति देती है तो अब वह रायबरेली सीट से लड़ने के लिए तैयार हैं। अगर ऐसे होता है तो वह रायबरेली से चुनाव लड़ने वाली नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी होंगी।
भाजपा की रैलियों में नीतीश की अनुपस्थिति पर तंज
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग भाजपा के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के चुनाव अभियान में गायब है, जबकि विपक्षी महागठबंधन इस मांग को अपने अभियान के दौरान बार-बार उठा रहा है, जिसका एकमात्र उद्देश्य यह दिखाना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैसे एक दशक पहले जनता से किए गए वादे को पूरा करने में विफल रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार तेज होने के साथ ही जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रचार के दौरान बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की अपनी दीर्घकालिक मांग पर पूरी तरह से चुप हैं, वहीं दूसरी ओर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने राज्य में भाजपा की चुनावी रैलियों में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया है। नीतीश कुमार जी कहां हैं? भाजपा उन्हें अपनी रैलियों में क्यों नहीं बुला रही है? मंगलवार को पीएम की किसी भी रैली में वह नजर नहीं आए। तेजस्वी यादव ने कहा, मेरे मन में अभी भी सीएम के लिए सम्मान है…बीजेपी, जो उनकी वर्तमान सहयोगी है, को इस मामले पर सफाई देने की जरूरत है।

– राहिल नोरा चोपड़ा