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किसने किया था राष्ट्रपति भवन का निर्माण ? जानें इसका पूरा इतिहास

Desk Team

राष्ट्रपति भवन दिल्ली में मौजूद वह इमारत है जिसके अंदर भारत के राष्ट्रपति रहा करते हैं और कानून का गठन करते हैं । लेकिन क्या आपको पता है कि आखिरकार राष्ट्रपति भवन का पूरा इतिहास क्या है इसको कब और किसने बनवाया था अगर नहीं तो आज का यह विषय आपके लिए काफी रोचक भरा हो सकता है क्योंकि आज हम आपको भारत के राष्ट्रपति भवन का वो दिलचस्प इतिहास बताने वाले हैं जिसको शायद ही आपने कभी सुना होगा।

ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा किया गया राष्ट्रपति भवन का निर्माण

देश का राष्ट्रपति यानि की किसी भी देश का वह पहला व्यक्ति जो हर कानून, हर विवाद, हर राजनीतिक पहल में सर्वप्रथम रूप से अपनी प्रतिक्रिया देता है। और हमारा राष्ट्रपति भी राष्ट्रपति भवन में ही रहता है हाल फिलहाल में इस भवन के अंदर द्रौपदी मुर्मू रहती है जिन्होंने हाल ही में भारत के राष्ट्रपति की गद्दी अपने नाम की है। राष्ट्रपति भवन एक मुख्य इमारत है जिसके अंदर राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास होता है। लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं नई दिल्ली में मौजूद भारत के राष्ट्रपति भवन की जो कि पहले वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था जिसका निर्माण ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान ही किया गया था।

राष्ट्रपति भवन में मौजूद है 340 कमरें

राष्ट्रपति भवन के निर्माण की बात की जाए तो सन 1912 में ही इसकी शुरुआत कर दी गई थी जहां यह सन 1929 में बनकर पूरी तरह तैयार हुआ था। साथ ही इसको सन 1931 में यानी की 93 साल पहले खोला गया था जिसकी ऊंचाई करीबन 55 मीटर है। राष्ट्रपति भवन पूरा चार मंजिला इमारत है। और इस इमारत ने अपने अंदर 340 कमरों को समेट कर रखा हुआ है।

राष्ट्रपति भवन में मौजूद है पवित्र बगीचा

राष्ट्रपति भवन के अंदर ही एक अमृत उद्यान मौजूद है जिसे पवित्र अमृत का बगीचा भी कहा जाता है। पहले से मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता था लेकिन अब इसको अमृत उद्यान के नाम से जाना जाता है।

70 करोड़ ईंटों का हुआ राष्ट्रपति भवन के निर्माण में इस्तेमाल

राष्ट्रपति भवन पहले ब्रिटिश वायसराय का एक सरकारी अवस्था लेकिन जब साल 1911 में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली में तब्दील की गई तब साल 1950 में 26 जनवरी के दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को एक स्थाई संस्था का नाम मिल गया। राष्ट्रपति भवन का निर्माण वास्तुकार एडविन लैंडसीयर लुट्येंस ने किया था। और इस भवन के निर्माण में 70 करोड़ ईंटों का इस्तेमाल किया गया।

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