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तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में आज शुक्रवार को सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। बता दें इस मामले को लेकर विपक्ष के कई नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आई है।इस दौरान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का भी इस मामले पर रिएक्शन सामने आया है।ब्रजेश पाठक ने कहा कि संसद ने निर्णय लिया और संसद का जो भी निर्णय है वह सर्वोपरि है।
तो वहीं इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा-"सत्ताधारी दल विपक्ष के लोगों की सदस्यता लेने के लिए किसी सलाहकार को रख ले, जिससे मंत्रीगण व सत्ता पक्ष के सासंदों और विधायकों का समय षड्यंत्रकारियों गतिविधियों में न लगकर लोकहित के कार्यों में लगे। जिन आधारों पर सांसदों की सदस्यता ली जा रही है, अगर वो आधार सत्ता पक्ष पर लागू हो जाएं तो शायद उनका एक दो सासंद-विधायक ही सदन में बचेगा.कुछ लोग सत्ता पक्ष के लिए सदन से अधिक सड़क पर घातक साबित होते हैं."
दरअसल, महुआ मोइत्रा को लोकसभा की सदस्यता रद्द होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले की निंदा की और इस कदम को देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात करार दिया। टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा- "यह संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है और जिस तरह से महुआ मोइत्रा को निष्कासित किया गया, उसकी हम निंदा करते हैं। पार्टी उनके साथ खड़ी है, वे (बीजेपी) हमें चुनाव में नहीं हरा सकते, इसलिए उन्होंने बदले की राजनीति का सहारा लिया है। यह दुखद दिन है और भारतीय संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है."
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