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क्या आप जानते है कौन-से शहर को मिला था, 1 दिन के लिए भारत की राजधानी होने का दर्जा, जवाब आप को भी चौंका देगा

Khushboo Sharma

हालाँकि दिल्ली देश की राजधानी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कभी एक शहर था जो अस्थायी रूप से सिर्फ एक दिन के लिए भारत की राजधानी के रूप में सामने आया था? किसी भी शहर के लिए भारत जैसे बड़े देश की राजधानी बनना बहुत कठिन होगा।

उस शहर के बारे में सब कुछ बदल जाएगा, आकार, रंग और भी बहुत कुछ। जरा दिल्ली को देखिए- यह कितना सुंदर और सहज रूप से तैयार किया हुआ शहर है। लेकिन उस शहर का क्या हुआ, जो एक दिन के लिए भारत की अस्थायी राजधानी (India's capital for 1 day) बनी? क्या आप इसका नाम जानते हैं?

कौन -सा है आखिर वो शहर?

सोशल मीडिया साइट पर आम लोग अक्सर अपनी जिज्ञासा बढ़ाने के लिए सवाल पूछते हैं और उसी साइट को इस्तेमाल करने वाले लोग ही उनका जवाब दे देते हैं। हाल ही में किसी शख्स ने सोशल मीडिया पर अजीब सवाल पूछा, "वह कौन सा शहर है जो अस्थायी रूप से 1 दिन के लिए भारत की राजधानी बन गया?" बहुत से लोग इस शहर को जानते होंगे, लेकिन ज़रूरी नहीं कि इससे परिचित हों। तो आइए, हम आज आपको इस शहर के बारे में सब कुछ बताते है।

लोगों ने दिए अपने रिएक्शन

पहले बात करते है लोगों के रिएक्शन की। एक शख्स के अनुसार, 1858 में इलाहाबाद (प्रयागराज) एक दिन के लिए देश की राजधानी के रूप में कार्यरत था क्योंकि ब्रिटिश राजशाही ने वहां देश चलाने की जिम्मेदारी ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दी थी। उस समय इलाहाबाद उत्तर-पश्चिमी राज्यों की क्षेत्रीय राजधानी थी। दूसरे शख्स ने कहा, "1858 में, इलाहाबाद ने अस्थायी रूप से एक दिन के लिए भारत की राजधानी के रूप में कार्य किया।"

1 नवंबर 1858 को मिला था देश की राजधानी का दर्जा

अब आपको जानकारी दें दें कि इस सवाल का सही जवाब क्या है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1 नवंबर 1858 को प्रयागराज मतलब कि इलाहाबाद को भारत की राजधानी का दर्जा दिया गया। हालाँकि, शहर को यह दर्जा केवल एक दिन के लिए ही मिला। 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश का नियंत्रण ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया था। उस समय 1857 के विद्रोह की पहली लपटें दिल्ली, मेरठ, और आगरा में जलती हुई देखी जा सकती थीं। तब इलाहाबाद पर पूरी तरह से अंग्रेजों का शासन था। इलाहाबाद के मिंटो पार्क में महारानी विक्टोरिया का घोषणापत्र पढ़ने के लॉर्ड कैनिंग के फैसले के पीछे यही तर्क है, जो शक्तियों के ट्रांसफर की जगह बनी और जिसने उस समय इस शहर को देश की राजधानी बनाया था।