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मांग का सिंदूर : सही समय पर सही तरीके से लगाएं तभी होगी पति पर पैसों की बारिश

विवाहित स्त्री की पहचान सिंदूर से होती हैं और सिंदूर ही उनके सुहागन होने का प्रतीक होता हैं| इसलिए हिन्दू शास्त्रो में सिंदूर के महत्व के बारे में बताया गया हैं|

Desk Team
एक विवाहित स्त्री की पहचान सिंदूर से होती हैं और सिंदूर ही उनके सुहागन होने का प्रतीक होता हैं।  इसलिए हिन्दू शास्त्रो में सिंदूर के महत्व के बारे में बताया गया हैं। 
हिंदू भारतीय संस्कृति में मान्यता है कि यदि आप गलत तरीके से सिंदूर लगाती हैं, तो इसका असर सीधे सीधे आपके पति की आयु और भाग्य पर पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि सिंदूर हमेशा सही तरीके से ही लगाना चाहिए, नहीं तो इसका असर आपके वैवाहिक जीवन पर पड़ेगा। 
कई मामलों में तलाक की नौबत तक आ जाती है पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध नहीं बन पाते। गलत तरीके से लगाए गए सिंदूर का असर यह होता है कि घर में पल-पल कलह की स्थिति निर्मित होती है।
– सिंदूर सुबह-सुबह उठकर ना लगाएं बल्कि सुबह उठकर नित्य कर्म करे। इसके बाद कुछ खा ले और फिर अपने सिर पर पल्लू डाल ले, इसके बाद ही आप अपने मांग में सिंदूर लगाएं।
सिंदूर कभी भी सबके सामने ना लगाएं बल्कि एकांत में ही लगाए। लेकिन एक बात का ध्यान दे कि सिंदूर आप अपने पति से ना लगवाएँ, ऐसा माना जाता हैं कि पति सिर्फ विवाह में ही सिंदूर लगाता हैं और यह वर्जित भी हैं।
सिंदूर किसमें ना रखे :-
 चाँदी के डिब्बी में सिंदूर ना रखे।
 शीशे के पात्र में सिंदूर ना रखे।
 तांबे के बर्तन में सिंदूर ना रखे।
लोहे के बर्तन में सिंदूर ना रखे क्योंकि लोहे के कारण सिंदूर में जंग लग सकते हैं।
मिट्टी के बर्तन में सिंदूर ना रखे क्योंकि इसके टूटने का डर रहता हैं।
सिंदूर किसमें रखे :-
पीतल ,सोने लकड़ी या लाख के बर्तन या डब्बी में सिंदूर रखे।