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Supreme Court में खुला दिव्यांगों द्वारा संचालित ‘मिट्टी कैफे’

Ritika Jangid

सुप्रीम कोर्ट परिसर में 'मिट्टी कैफे' का उद्धाटन शुक्रवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने किया हैं। इसका संचालन और पूरा प्रबंधन दिव्यांगजन करेंगे। चीफ जस्टिस ने कामकाजी दिन की शुरुआत से पहले अदालत परिसर में कैफे के उद्धाटन की घोषणा कीं और बार के सदस्यों से अपना सहयोग और समर्थन देने के लिए कहा।

सांकेतिक भाषा में हुआ राष्ट्रगान

चीफ जस्टिस के अन्य न्यायधीशों व वकीलों की मौजूदगी में कैफे का उद्धाटन किया। वहीं इस मौक पर दिव्यांगजनों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए और सांकेतिक भाषा में राष्ट्रगान भी हुआ। वहीं, कैफे के उद्धाटन के मौके पर चीफ जस्टिस एक दिव्यांग कर्मचारी का हाथ पकड़कर कैफे में ले गए।

'मिट्टी कैफे करुणा का प्रतीक'

मुख्य न्यायधीश चंद्रचूड़ कैफे के उद्धाटन के समय कहा कि मुझे भरोसा है कि बार एसोसिएशन और वकील इस पहल में अपना भरपूर सहयोग देंगे। आगे जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मिट्टी कैफे का प्रबंधन करने वाले सभी लोग दिव्यांग हैं। वहीं उन्होंने बताया कि मिट्टी कैफे ने देश के विभिन्न हिस्सों में कैफे खोले हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस मौके पर मौजूद अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा, यह कैफे 'करुणा का प्रतीक' है।

देशभर में 41 मिट्टी कैफे

बता दें, मिट्टी कैफे का प्रबंधक एक दृष्टिबाधित हैं और उन्हें सेलेब्रल पाल्सी है। इस कैफे को एक NGO चलाता है और अब तक इसके 41 मिट्टी कैफे है। वहीं यह कैफे बंगलुरु के एक एनजीओ मिट्टी सोशल फाउंडेशन की पहल का हिस्सा है। यह एनजीओ दिव्यांग लोगों को प्रशिक्षित करता है।

बता दें कि 2017 में इस कैफे का संचालन शुरु हुआ था। बैंगलुरू हवाई अड्डा समेत देश के विभिन्न हिस्सों में कैफे है।वहीं NGO की फाउडर अलीना आलम ने बताया कि संगठन का संचालन महिलाओं की टीम द्वारा चलाया जाता है। वहीं, अब इस कैफे से करीब 500 दिव्यांगजन सीधे तौर पर कर्मचारी हैं और करीब 1200 दिव्यांगजन इस कैफ से जुड़े हैं। कैफे का संचालन करने वाले NGO विशेष जरूरत वाले लोगों के लिए काम करता है और उन्हें रोजगार भी देता है।

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