Bangladesh Protest: बांग्लादेश में गंभीर हिंसक प्रदर्शनों के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंततः इस्तीफा दे दिया । वे सैन्य हेलिकॉप्टर के जरिए भारत पहुंची। हम यहां यह समझाने जा रहे हैं कि कौन-कौन से मुद्दे थे जिनके चलते बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल मच गई और अंततः हसीना को प्रधानमंत्री पद और देश दोनों को छोड़ना पड़ा।
बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में लगभग 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं। सोमवार को छात्रों ने ढाका की ओर मार्च करने का आह्वान किया, जबकि पूरे देश में कर्फ्यू लागू था। इस दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना से इस्तीफे की मांग भी की जा रही थी।
एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों के हमले के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। सूत्रों के अनुसार, हसीना और उनकी बहन बंग भवन (प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास) छोड़कर एक सुरक्षित स्थान पर चली गई हैं। इस दौरान पीएम हसीना एक भाषण रिकॉर्ड करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें ऐसा करने का मौका नहीं मिला।
बांग्लादेश में क्यों शुरू हुआ प्रदर्शन
दरअसल, 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद से बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलाने में भाग लेने वाले लोगों के परिवारों के लिए सिविल सेवा और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में 30% कोटा प्रदान किया है। यह कोटा प्रणाली 1972 में प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान के द्वारा शुरू की गई थी। हालांकि, अक्टूबर 2018 में हसीना ने छात्रों द्वारा बड़े विरोध प्रदर्शनों के बीच सभी आरक्षण को समाप्त करने पर सहमति दी। लेकिन इस साल जून में उच्च न्यायालय ने उस निर्णय को रद्द कर दिया और 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों की याचिका पर कोटा को पुनः बहाल कर दिया।
कोर्ट के आदेश के बाद, 56 फीसदी सरकारी नौकरियों को विशेष समूहों के लिए आरक्षित कर दिया गया। इन विशेष समूहों में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चे और पोते-पोतियां, महिलाएं, और 'पिछड़े जिलों' के लोग शामिल हैं। इस निर्णय के खिलाफ बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें छात्रों ने सवाल उठाया कि स्वतंत्रता सेनानियों की तीसरी पीढ़ी को क्यों लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने पूरी तरह से योग्यता के आधार पर भर्ती की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश के आरक्षण पर दिया आदेश
पिछले महीने, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आदेश दिया कि 93 फीसदी सरकारी नौकरियां अब योग्यता के आधार पर दी जाएं। इसके अलावा, 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले सेनानियों के परिवारों के लिए 7 फीसदी नौकरियां आरक्षित रखी गईं। इससे पहले, स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30 फीसदी नौकरियां आरक्षित थीं।
विरोध प्रदर्शन सरकार विरोधी आंदोलन में बदला
आरक्षण हटाने की मांग को लेकर बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन हाल ही में एक महत्वपूर्ण सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गए। इस आंदोलन में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की गई। रिपोर्टस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार को किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं दिया जाएगा और सरकारी बिलों का भुगतान भी नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, सचिवालय और सरकारी कार्यालयों को बंद रखने का आह्वान किया गया।