“मैं शून्य पे सवार हूँ...” शायरी के शौकीन जरुर पढ़ें Zakir Khan की ये शायरियां

Khushi Srivastava

कामयाबी हमने तेरे लिए खुद को यूँ तैयार कर लिया,

मैंने हर जज़्बात बाज़ार में रख कर इश्तेहार कर लिया..

मैं शून्य पे सवार हूँ

बेअदब सा मैं खुमार हूँ

अब मुश्किलों से क्या डरूं

मैं खुद कहर हज़ार हूँ

हम दोनों में बस इतना सा फर्क है,

उसके सब “लेकिन” मेरे नाम से शुरू होते है

और मेरे सारे “काश” उस पर आ कर रुकते है..

हम दोनों में बस इतना सा फर्क है,

उसके सब “लेकिन” मेरे नाम से शुरू होते है

और मेरे सारे “काश” उस पर आ कर रुकते है...

बे वजह बेवफाओं को याद किया है,

ग़लत लोगों पे बहुत वक़्त बर्बाद किया है

दिलों की बात करता है ज़माना,

पर आज भी मोहब्बत चेहरे से ही शुरू होती हैं

मेरे दो चार ख्वाब हैं,

जिन्हें में आसमां से दूर चाहता हूं..

चाहे जिंदगी गुमनाम रहे,

मौत मैं मशहूर चाहता हूं..

मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत,

तेरा ज़िक्र ही कहां था, मेरी दास्तान से पहले

हर एक दस्तूर से बेवफाई मैंने शिद्दत से हैं निभाई

रास्ते भी खुद हैं ढूंढे और मंजिल भी खुद बनाई