Pannelal Gupta
टेलीकॉम इंडस्ट्री काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कंपनियों ने लाइसेंस फीस कम करने की डिमांड की है।
जिसको लेकर यह संभावना लग रहे है की जड़ ही इनकी रिचार्ज सस्ता होगा।
कंपनियों द्वारा लाइसेंस फीस में 0.5% से 1% तक कम करने की मांग की गई है। अभी यही फीस 8% तक लगती है।
इंडस्ट्री का इस पर कहना है कि अगर ये फीस कम हो जाएगी तो नेटवर्क का अपग्रेडेशन और एक्सपेंशन करना आसान हो जाएगा।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) की तरफ से कहा गया है और इसके जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया तीन मुख्य टेलीकॉम ऑपरेटिंग कंपनी हैं।
अभी कंपनियों की तरफ से कुल 8% लाइसेंस फीस में से 5% यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन चार्ज होते हैं।
2012 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया गया और अब इसे पारदर्शी और खुले नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित किया जा रहा है।
टेलीकॉम कंपनियों का मानना है लाइसेंस शुल्क, अधिकतम, केवल लाइसेंस के प्रशासनिक खर्च को कवर करना चाहिए, जो कुल राजस्व का 0.5% से 1% तक है।
AGR राशि का भुगतान करने के अलावा, CSR, GST और कॉर्पोरेट टैक्स भी अन्य कंपनियों की तरह ही देती हैं।यह टेलीकॉम व्यवसाय में लगी कंपनियों को अन्य व्यवसायों की तुलना में महत्वपूर्ण नुकसान में डालता है।