नीम करोली बाबा के मंदिर की ईंटों पर अंकित है इस देवता का नाम

Ayush Mishra

बाबा नीम करोली के दुनियाभर में करोड़ों भक्त हैं, यही वजह है कि कैंची धाम आश्रम में भक्तों की भीड़ होती है, क्या आप जानते हैं कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ?

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10 सितम्बर 1973 की रात्रि में बाबा नीम करोली ने अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था, जिसके बाद उसकी अस्थियों से युक्त कलश को श्री कैंची धाम में स्थापित कर दिया गया था

फिर बिना किसी योजना के बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू हुआ, उनके सभी भक्तों ने (स्वेच्छा से) सहयोग किया

निर्माण कार्य में लगे कारीगरों ने सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए तथा "महाराज जी की जय" का नारा लगाते हुए काम शुरू कर दिया

जब निर्माण कार्य चल रहा था, तब भी भक्तों ने हनुमान चालीसा का पाठ जारी रखा, श्री राम-जय राम जय जय राम गाकर कीर्तन किया, माताओं ने ईंटों पर 'राम' नाम लिखकर उन श्रमिकों को दिया

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फिर आया 15 जून 1976 का दिन, यही वो दिन था जब महाराज जी की मूर्ति की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की गई, बाबा ने स्वयं कैंचीधाम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन तय किया था

स्थापना एवं प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व भागवत सप्ताह एवं यज्ञ आदि सम्पन्न हुए, भक्तों ने घण्टा, घड़ियाल, ढोल, शंख आदि की ध्वनि के साथ मंदिर पर कलश स्थापित कर ध्वजारोहण किया

तत्पश्चात वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ तथा निर्धारित विधि से प्राण-प्रतिष्ठा एवं पूजन के साथ महाराजजी की मूर्ति स्थापित की गई, इस प्रकार मूर्ति रूप में बाबाजी महाराज श्री कैंची धाम में विराजमान हैं