Pannelal Gupta
'छठ' से पहले बाजारों में रौनक बढ़ गई है, पटना के बाजारों में 'कोसी' की जमकर खरीदारी की जा रही है।
इस पर्व पर 'कोसी भरने' की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो 'कोसी' भरने का संकल्प लिया जाता है।
जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल 'छठ' पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
विक्रेता लक्ष्मी देवी ने 'कोसी' के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं।
'कोसी' सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।
हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है।
इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।
बता दें कि 'कोसी' भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं।