9 अप्रैल 2024 से नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है आज इसका चौथा दिन है चौथा
दिन माँ कूष्मांडा को समर्पित है आइए जानें इनकी कथा के बारे में
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है जब सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था उस समय चारों तरफ अँधेरा छाया था
तब अचानक ऊर्जा का एक गोला प्रकट हुआ इस गोले से सारा अंधकार समाप्त हो गया तथा चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश छा गया
कुछ ही समय में यह गोला एक स्त्री के रूप में बदल गया माँ दुर्गा ने सबसे पहले तीन देवियों महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का रूप धारण किया
दुर्गा मां के महाकाली स्वरूप से एक नर और नारी जन्में नर के 5 शिर और 10 हाथ थे उनका नाम शिव था स्त्री का एक सिर और चार हाथ थे उनका नाम सरस्वती था
महालक्ष्मी से भी एक स्त्री और एक पुरुष उत्पन्न हुए पुरुष के 4 हाथ और 4 ही सिर थे उनका नाम ब्रह्मा और स्त्री के 4 हाथ व 1 सिर था जिनका नाम लक्ष्मी रखा गया
महासरस्वती के शरीर से एक पुरुष और एक स्त्री उत्पन्न हुए पुरुष का एक सिर और चार हाथ थे उनका नाम विष्णु था स्त्री का एक सिर और चार हाथ थे उनका नाम शक्ति था
माँ कूष्मांडा ने खुद से ही भगवान शिव को अर्धांगिनी के रूप में शक्ति, विष्णु को लक्ष्मी और ब्रह्मा को देवी सरस्वती प्रदान कीं
देवी कूष्मांडा ने ब्रह्माजी को संसार की रचना, भगवान विष्णु को पालने की जिम्मेदारी और भगवान शिव को संहार करने की जिम्मेदारियां दे डालीं
इस प्रकार मां ने इस पुरे संसार को बनाया संसार का निर्माण करने के पश्चात ही माता का नाम कूष्मांडा पड़ा वह माँ दुर्गा का चौथा रूप मानी जाती हैं