Chaitra Navratri: क्या आप जानते हैं देवी शैलपुत्री की पावन कथा ?
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आज से दुर्गा माँ के नौ स्वरूपों को समर्पित नवरात्रि का त्यौहार शुरू हो चुका है इस दौरान माँ दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है
बता दें आज माँ शैलपुत्री का दिन है आइये जानें आखिर माँ दुर्गा के इस रूप के पीछे कौन सी कहानी छिपी है
माँ दुर्गा की पूजा सबसे पहले शैलपुत्री के रूप में की जाती है माँ दुर्गा हिमालय के घर पैदा हुई थीं जिसके कारण उनका नाम शैलपुत्री रखा गया इनकी सवारी वृषभ है
माँ शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है ये देवी प्रथम दुर्गा हैं इन्हीं को देवी सती कहा जाता है उनकी एक मार्मिक कथा है
एक समय की बात है माता सती के पिता प्रजापति ने यज्ञ आयोजित किया जिसका निमंत्रण उन्होंने सभी देवताओं को दिया लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया
सती यज्ञ में जाने का हठ भगवान शिव से करने लगीं तब महादेव ने इंकार करते हुए कहा कि सारे देवता यज्ञ में निमंत्रित हैं, पर वे नहीं इसलिए हमें वहां नहीं जाना चाहिए
उसके बाद भी भगवान शिव से सती आग्रह करती रहीं जिसकी वजह से भगवान शिव ने उन्हें उन्हें यज्ञ में जाने की आज्ञा दी
आज्ञा के बाद सती जब अपने मायके पहुंचीं तो उन्हें सिर्फ उनकी मां ने ही प्यार दिया उनकी बहनों की बातों में देवी सती और शंकरजी के लिए उपहास के भाव दिखे
उनके पिता दक्ष ने भी सती और उनके पति भगवान शिव का अपमान किया इससे सती क्रोध की अग्नि में जलने लगीं वे यज्ञ की अग्नि में कूद गईं और भस्म हो गईं
यह सब जानकार भगवान शिव ने दारुण दुःख से व्यथित होकर और क्रोध से यज्ञ का विध्वंस करा दिया यही देवी सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री बनीं
देवी पार्वती और हेमवती भी इन्हीं माता के दूसरे नाम हैं देवी शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शिव से हुआ जिसके बाद शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं