बदलते रहन-सहन के चलते शारीरिक के साथ मानसिक तनाव भी बढ़ गया है कई बार लोग खुद को दूसरों से कम बेहतर समझना शुरू कर देते है जिसके चलते वह सोशल एंग्जायटी का शिकार हो जाते है
दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते है यह सवाल अक्सर मन में खटकता है। जिसकी वजह से लोग पब्लिक में आने से कतराते है और आखिर में अपने कदम पीछे कर लेते है
किसी काम के गलत होने पर खुद को उसका जिम्मेदार बताना और बार- बार खुद को कोसना भी इसका एक संकेत है
ऐसे लोगों को ओवरथिंक करने की आदत होती है। जिसके चलते भविष्य में क्या होगा इसकी चिंता करके पहले ही डर जाते है। जिसकी वजह से अपना वर्तमान बर्बाद कर देते है
कई बार ऐसे लोग पब्लिक में जाने से भी घबराते है कि अगर अनजाने में इनसे गलती हो जाती है तो लोग क्या कहेंगे और लोगों का सोच कर वो ऐसा नहीं करते है
अब इसकी कोई दवा तो नहीं ,पर हाँ अगर सोशल एंग्जायटी को दूर करना चाहते है तो सबसे पहले अपने अंदर कॉन्फिडेंस लाए और सबसे महतवपूर्ण जिस रास्ते पर आपने खुदको सबसे पीछे रखा हैं उस रास्ते पर आप अपने आप को आगे रखना शुरू करें