Dussehra Special: रावण के क्या सच में 10 सिर थे?

Ritika Jangid

रावण के 10 सिर का जिक्र रामायण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में किया गया है

लेकिन ये 10 सिर शाब्दिक रुप से नहीं बल्कि प्रतिकात्मक रुप से समझते जाते हैं

प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, रावण के 10 सिर उसकी ज्ञान, शक्ति और उसके कई गुणों का प्रतिक हैं

आधुनिक व्याख्याओं में बताया गया है कि रावण के 10 सिर, उसके दस अलग-अलग स्वभाव, इच्छाओं या मानवीय कमजोरियों को दर्शाते हैं, जैसे क्रोध, लोभ, मोह, वासना, अहंकार, ईर्ष्या आदि

ये भावनाएं  सभी मनुष्य के अंदर होती है, जिनका प्रतीक रावण था

कुछ मान्याताओं के अनुसार, रावण की बुद्धि और ज्ञानन इतना विशाल था कि उसे दशानन या दस सिरों वाला कहा गया था

वहीं, कुछ लोग इसे प्रतीकात्मक रूप से भी देखते हैं, जैसे रावण की दस अलग-अलग दिशाओं में सोचने की क्षमता 

इसलिए रावण के 10 सिर शब्दिक नहीं बल्कि उसकी विभिन्न मानसिक और शारीरिक शक्तियों का प्रती माने जाते हैं

Next Story