154 साल पहले इस जुगाड़ से बनी थी मच्छरों का खात्मा करने वाली Mortein
Ritika Jangid
मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए लोग अपने घर में मोर्टिन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप मोर्टिन का इतिहास जानते हैं?
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बता दें कि 1870 क दशक में एक शख्स कीड़ों से इतना तंग आ गया था कि उसने इन कीड़ों से छुटाकार पाने के लिए मोर्टिन बना दिया
ये शख्स ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले एक जर्मन आप्रवासी था जिसका नाम जे हेगमैन था
मोर्टिन आज देश के गांव-शहर के कोने-कोने तक पहुंच चुका है। जिसका इस्तेमाल मच्छरों का सफाया करने के लिए किया जा रहा है
जे हेगमैन गुलदाउदी के फूलों को पीसकर पाइरेथ्रम अर्क बनाया और एक कीटनाशक पाउडर बनाया
धीरे-धीरे मोर्टिन ऑस्ट्रेलिया में घरेलु इस्तेमाल की वस्तु बन गई तथा इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई। मोर्टिन को 1969 में रेकिट कंपनी ने खरीद लिया था
भारत में मलेरिया बढ़ने के बाद मोर्टिन की जरूरत यहां भी महसूस हुई। और 1993 में ब्रांड को दक्षिण भारत में लॉन्च किया गया व 1966 तक इसे पूरे देश में कॉइल, मैट और एरोसोल रूपों में बेचा जाने लगा
उस समय इस तरह के बहुत कम ब्रांड थे। ऐसे में मोर्टिन की बिक्री में काफी उछाल आया और भारत में पहले आठ सालों में बिक्री में 66% की बढ़ोतरती हुई
मोर्टिन की पेरेंट कंपनी रेकिट के देश में डेटॉल, वीट, वैनिश, डिस्प्रिन, कोडिस और नुलोन हैंड क्रीम जैसे प्रोडक्ट काफी लोकप्रिय है