Poetry: “छोड़ना है तो न इल्ज़ाम लगा…” एक बार जरुर पढ़े ये शेर

Khushi Srivastava

कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें 
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए 

-क़तील शिफ़ाई

Source: Pexels

मोहब्बत में ज़रा सी बेवफ़ाई तो ज़रूरी है
वही अच्छा भी लगता है जो वादे तोड़ देता है
-वसीम बरेलवी

कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में 

-बहादुर शाह ज़फ़

छोड़ना है तो न इल्ज़ाम लगा कर छोड़ो
कहीं मिल जाओ तो फिर लुत्फ़ -ए -मुलाक़ात रहे 
-माधव राम जौहर

गुलाब जिस्म का यूँ ही नहीं खिला होगा
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा 
-शहरयार 

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा 
मुद्दतों के बाद कोई हमसफ़र अच्छा लगा
-अहमद फ़राज़

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है 
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है

-जिगर मुरादाबादी

कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी 
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी 
-दाग़ देहलवी 

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम 
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए 
-ख़ुमार बाराबंकवी