रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। टूटे से फिर न मिले, मिले गाँठ परिजाय॥

Rahul Kumar

रहीम कहते हैं कि प्रेम का रिश्ता बहुत नाज़ुक होता है।

इसे झटका देकर तोड़ना यानी ख़त्म करना उचित नहीं होता।

यदि यह प्रेम का धागा (बंधन) एक बार टूट जाता है तो फिर इसे जोड़ना कठिन होता है

और यदि जुड़ भी जाए तो टूटे हुए धागों (संबंधों) के बीच में गाँठ पड़ जाती है।

समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।

सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछिताए॥

सब समय का खेल है।

समय आने पर फल पकते हैं और समय आने पर झड़ भी जाते हैं।

हीम कहते हैं कि समय ही परिस्थितियों को बदलता है अर्थात् समय सदा एक-सा नहीं रहता।

इसलिए पछतावा करने का कोई तुक नहीं है।