ओलंपिक खेलों की मेजबानी का क्या है हिसाब-किताब, क्या भारत के लिए आयोजन करना है संभव ?
Shubham Kumar
ओलंपिक खेलों के आयोजन पर हजारों करोड़ रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में इसकी मेजबानी करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अब सवाल ये है कि क्या भारत का मिशन 2036 पूरा हो पाएगा?
मिशन ओलंपिक 2036 की मेजबानी के लिए भारत पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है।
पीएम मोदी ने खिलाड़ियों से ओलंपिक 2036 की मेजबानी को लेकर भी बात की। इस बात का ऐलान पहले ही हो चुका है कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो भारत 2036 ओलंपिक मेजबानी हासिल करने के लिए दावेदारी पेश करेगा।
ओलंपिक खेलों का अनुमानित बजट क्या है और क्या भारत के लिए ये सपना साकार करना मुमकिन है ?
रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस ओलंपिक 2024 की मेजबानी पर 10 बिलियन डॉलर (करीब 83,000 करोड़ रुपये) का खर्च आने की उम्मीद है।
दरअसल, ओलंपिक खेलों में स्टेडियम और खेल सुविधाओं के विकास के साथ पर्यटन, सुरक्षा सहित अन्य सुविधाओं के विस्तार पर मोटा खर्च आता है। ऐसे में छोटे देशों के लिए इसकी मेजबानी करना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अनुसार, खेलों की मेजबानी से अधिक नौकरियां पैदा होती हैं। मेजबान देश में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और शहर को आर्थिक लाभ मिलता है।
हर ओलंपिक खेलों का कैलेंडर लगभग सात साल पहले तय किया जाता है,
इन आंकड़ों को देखकर ये साफ है कि जिस देश को भी ओलंपिक की मेजबानी करनी होगी उसे एक मोटी रकम खर्च करनी होगी। इसलिए भारत को मेजबानी करनी है, तो एक मोटी रकम जोड़नी होगी।