आखिर क्यों दिया था Baba Saheb ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा

Desk Team

हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है इस दिन उनके सभी योगदानों के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है

 वे भारतीय संविधान के पिता भी कहलाए जाते हैं और आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी थे लेकिन ऐसा क्या हुआ था कि उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया आइए जानते हैं 

 देश को सुचारू ढंग से चलाने के लिए कानून की जरूरत थी, इस तरह डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का गठन किया गया और बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बनें

डॉ. अंबेडकर समानता में यकीन रखते थे वे जाति के आडंबर को नहीं मानते थे और चाहते थे कि समाज में सभी को एक-बराबरी का अधिकार मिले 

इसलिए उन्होंने अपने पूरे जीवन समाज से जाति प्रथा, महिलाओं को बराबरी और बड़े-छोटे के भेद को मिटाने के लिए काम किया ऐसा ही वे भारत का कानून मंत्री बनने के बाद भी करना चाहते थे

समाज में महिलाओं को भी पुरुषों के समान बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए, उन्होंने एक बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें पिता की संपत्ति पर बेटियों का भी बेटों के समान ही अधिकार होने का प्रस्ताव दिया गया था इस बिल को हिंदू कोड बिल कहा जाता है

इस बिल में विवाह में जाति के महत्व को खत्म करने, तलाख के नियम और गोद लेने के लिए नियमों को पारित करने पर चर्चा की गई थी, लेकिन उनके इस बिल को कैबिनेट में पास होने की मंजूरी नहीं दी गई

 इस बिल के पास न होने की वजह से हीं 1951 में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया