आखिर क्यों मां नहीं देखती अपने ही बेटे की शादी?

Desk News

हिंदू धर्म में शादी बहुत धूमधाम और कई रस्में पूरी करने के साथ होती है

हिन्दू धर्म में शादी के समय कुछ रीतियां और परंपराएं सालों से निभाई जा रही हैं 

इन्हीं में एक अनोखी परंपरा यह है कि मां अपने ही बेटे के विवाह के सात फेरे नहीं देखती है 

हिन्दू धर्म में दूल्हे की मां उनकी शादी से जुड़े हर रीति- रिवाज में साथ होती हैं लेकिन बारात में शामिल नहीं होती हैं 

इसकी एक मुख्य वजह यह बताई जाती है कि विवाह के बाद जब दुल्हन ससुराल आए तो उसके स्वागत के लिए घर का मुख्य मेंबर घर में रहे

ससुराल में बेटे की मां को ही नई दुल्हन का गृह प्रवेश और अन्य नियम कराने होते हैं 

दुल्हन के गृह प्रवेश और उसके आने की तैयारी करने के लिए भी मां अपने ही  बेटे के विवाह में शामिल नहीं होती

भारत के कई हिस्सों में आज भी यह रिवाज निभाया जाता है 

मुख्य रूप से बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान जैसी जगहों पर इसका पालन होता है 

जैसे-जैसे समय गुजर रहा है वैसे ही परम्पराएं बदल भी रहीं हैं जिससे अब मां बेटे की बारात में जानें लगी हैं 

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