पटना : लोकतांत्रिक जनता दल कार्यालय में पत्रकारों से वार्तालाप करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय नेता एवं बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि सवर्णों को भी दस प्रतिशत आरक्षण एनडीए का महज एक चुनावी जुमला है जिसका हम सख्त विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए के शासन काल में देश में बेरोजगारी, बेकारी बढ़ी है। दंगा-फसाद की वृद्धि हुई है। इस कमजोरी को छुपाने के लिए ही एनडीए ने इस जुमला को प्रचारित एवं प्रसारित किया है।
संविधान में डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा सामाजिक गैर बराबरी को समाप्त करने केलिए जो वर्ग समाज में सैकड़ों वर्षों से सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं उनके पिछड़ेपन को दूर करने केलिए संविधान के अनुच्छेद-16 द्वारा प्रावधान किया गया है न कि आर्थिक आधार पर गरीबी उन्मूलन के लिए। संविधान में संशोधन के द्वारा ही आरक्षण देने का प्रावधान है।
संविधान संशोधन केलिए दोनों सदनों में 2-3 बहुमत एवं देश के आधे राज्यों के विधानमंडल का समर्थन जरूरी है। ऐसा भी हुआ नहीं इसलिए एनडीए का यह जमुल सवर्णों को भी गुमराह करेगा। इस जुमला का श्रेय लेने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तथा समर्थन देने वाले दलितों के नेता रामविलास पासवान, चिराग पासवान, उदीत राज, रामदास अठावले बगैरह कुर्सी के लोभ सभी नेताओं की मंशा क्या है? आरक्ष्ण के लाभार्थी जनता सब कुछ जान रही है।
एनडीए की सरकार में ही सबसे ज्यादा पिछड़ों को सामाजिक, आर्थिक रूप से नुकसान हुआ है। नीतीश जी छात्रवृति बंद कर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड रूपी कर्ज प्रारंभ किया, गरीबों को पांच डिसमिल जमीन अनुदान को भी गुमराह किया है।
इसलिए आगामी चुनाव में एनडीए की हार निश्चित है। जिसके कारण सवर्णों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण का नया जुमला प्रयोग किया जा रहा है जो आरक्षित वर्गों के लोगों के हित में नही है और न ही सवर्णों के हित में। यह केवल चुनावी जुमला है। प्रेसवार्ता में प्रदेश प्रवक्ता संतोष कुशवाहा, प्रदेश महासचिव अंजनी सिंह, मीडिया प्रभारी मनीष कुमार सिंह, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मो. सलाउद्दीन साहब, अजीत कुमार समेत अन्य नेता उपस्थित थे।