पटना : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के घटक दल भाजपा की करारी हार-जीत आगामी लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने वाली है। इन पांच राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, एवं छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी वहीं मिजोरम एवं तेलंगाना में अन्य दलों की शासन थी। इन पांच विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एवं भाजपा के चुनावी प्रबंधन को आम जनता ने खारिज कर राहुल गांधी चुनावी प्रबंधन में विश्वास जता दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं भाजपा चुनाव प्रबंधन ने धुंआधार प्रचार-प्रसार की थी लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आगे फीका पड़ गया।
प्रधानमंत्री ने जनता के सामने इतनी लोक लुभावनी वादे पहले के चुनाव में कर चुकी थी कि उनके पास अब दूसरा मुद्दा व वादे बचा ही नहीं। इसका लाभ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भूना लिया। प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ छोटे-छोटे क्षेत्रिय दलों ने एक साथ महागठबंधन के पक्ष में एकजुट खड़ा हो गये जो भाजपा के चुनावी प्रबंधन को तार-तार कर दिया है। भाजपा ने दलित वोट साधने के लिए बजरंग बली को दलित बताया।
वहीं अनुसूचित जाति, जनजाति एक्ट में सुधार करने हेतु सदन में कानून बनाया तथा कई तरह के लोक- लुभावनी वायदे किये, लेकिन वहां के दलित जनता एक भी नहीं सुने। वे सभी गोलबंद होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। वहीं केन्द्र सरकार ने किसानों के हित के लिए फसल उत्पादन के अतिरिक्त 50 प्रतिशत अनुदान देने की बात कही थी तथा युवा वर्ग के प्रति लोक-लुभावनी बातें की, लेकिन उसे धरातल पर उतार नहीं सकी। नोटबंदी जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण कानून को रातोंरात अमलीजामा पहनाया गया। लेकिन वे सभी केन्द्र सरकार के प्रति उल्टा पड़ा। आम जनता को समझाने में नरेंन्द्र मोदी को समझाने में नरेन्द्र मोदी सफल नहीं हो सके। इन सभी कार्यों से सरकारके प्रति आमजनों में काफी आक्रोश था जिसे ज्यादा दिन तक इंतजार नहीं कर सके।
उधर, पांच राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाने से अगला लोकसभा चुनाव का दिशा-दशा तय करेगी। क्योंकि एनडीए में चुनाव परिणाम से पहले रालोसपा के केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने एनडीए से नाता तोड़ दिया है। वहीं भाजपा की करारी हार को दिखाते हुए अन्य दलों में अपना अलग रास्ता चुनने को तैयार बैठ हुए हैं। वहीं बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले से ही एनडीए के साथ है इसका रणनीतिकार प्रशांत किशोर संगठन को मजबूत बनाने में जुट गये हैं।
इनका रास्ता किधर जायेगी यह तो अब देखने में आयेगी। क्योंकि क्षेत्रिय पार्टियां केन्द्र के रूख को देखकर ही गठबंधन में शामिल होंगे। देश की राजनीति दो धु्रव के इर्द-गिर्द घूम रही है। एक धु्रव राष्ट्रीय पार्टी भाजपा एवं दूसरा धु्रव कांग्रेस है। क्योंकि क्षेत्रिय पार्टियां राष्ट्रीय पार्टी के रूख को देखकर ही अपना दिशा व दशा तय करती रही है। जिससे देश में जबरदस्त राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी असर पड़ेगा।