प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की। ये आंदोलन किसानो की संघर्ष और त्याग की जीत है।आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की जान गई है। यह हर उस व्यक्ति और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जीत है जो पिछले एक साल से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप से इस किसान आंदोलन का सपोर्ट करते रहें। बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष मंजुबाला पाठक ने संवाददाताओं के माध्यम से बिहार और चंपारण के किसानों को बताया की, अहंकारी सत्ता को किसानों के आगे झुकना पड़ा। भारतीय किसान यूनियन के साथ हमारे देश के नौजवानों, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और सिविल सोसाइटी के साथ प्रखर लोगों ने इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिसके फलस्वरूप अहंकारी सरकार के होश ठिकाने आए। साथ ही उन्होंने शहीद हुए किसानों के परिवार के लिए मुआवजें की मांग की।
किसान हमारे अन्नदाता है और आज भी देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का बहुत बड़ा हाथ है। रोजगार के क्षेत्र में भी कृषि क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है। चंपारण में ही लिया जाए तो 1 लाख 45000 हेक्टेयर जमीन पर केवल गन्ने की खेती होती है। परन्तु किसानों की उचित दाम नहीं मिलता साथ ही शुगर मिल्स द्वारा वजन में भी कटौती की जाती है। इस समस्या को मंजुबाला पाठक ने राज्य स्तर पर उठाया था।साथ ही किसान आंदोलन में प्रतीकात्मक भागीदार वो रही है। मंजुबाला ने मीडिया को बताया की, उनका मानना है कि, जो भी देश आज समृद्ध है वहां उसकी समृद्धि की शुरुआत कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों के हित में योजना लाने से हुई है।
मंजुबाला ने कहा, आज जरूरत है कानून के रूप में एमएसपी लागू करने की । साथ ही किसानों की फसल क्षतिपूर्ति और उदारवादी कृषि कानूनों की जो किसानों को उनका हक दे और मूल्य वर्धित अनुदान दें। उक्त बातें संवाददाताओं से करते हुए कांग्रेस नेत्री मंजुबाला पाठक ने कहा कि, वह बिहार प्रदेश अथवा चंपारण के किसानों के हक की लड़ाई वो लड़ती आई है । जब भी किसानों की जरूरत महसूस हुई उन्होंने उनके समाधान के लिए वरीय पदाधिकारीयों से संपर्क स्थापित कर उसका निस्पादन कराया। साथ ही किसानों की भलाई के लिए जगह जगह दौरा किया। चम्पारण में महिला किसानों को उनके समाज में आगे आने के लिए भी मंजुबाला प्रेरित करती हैं।