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बेटे की तरह बेटी पैदा होने पर जब परिवार के लोग खुश होंगे, तभी समाज बदलेगा : नीतीश

लाभार्थियों के बीच चाबी एवं चेक वितरित किये। अंधापन निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने बुजुर्ग एवं जरुरतमंदों के बीच चश्मे का भी वितरण किया।

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज फुलवारीशरीफ प्रखंड के रामपुर-फरीदपुर पंचायत के पसही महादलित टोले में 70वें गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए जहाँ वयोवृद्ध श्री रामदेव चौधरी ने झंडोत्तोलन किया। झंडोत्तोलन के अवसर पर मुख्यमंत्री को जीविका की दीदियों ने सिक्की कला से बने पुष्प-गुच्छ भेंटकर जबकि स्थानीय नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया। गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर बने मंच से मुख्यमंत्री ने रिमोट के माध्यम से सात निश्चय अंतर्गत हर घर नल का जल एवं हर घर तक पक्की गली-नाली निर्माण की योजनाओं का उद्घाटन शिलापट्ट का अनावरण कर किया। वहीं विकासात्मक योजनाओं के तहत सतत् जीविकोपार्जन योजना, समेकित भेड़-बकरी विकास योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लाभुको को मुख्यमंत्री ने चेक प्रदान किया। स्वरोजगार हेतु जीविका समूह को आर्थिक सहयोग के रूप में मुख्यमंत्री ने 1 करोड़ 12 लाख 95 हजार रूपये का चेक प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने बिहार स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के लाभुकों को क्रेडिट कार्ड जबकि मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के लाभार्थियों के बीच चाबी एवं चेक वितरित किये। अंधापन निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने बुजुर्ग एवं जरुरतमंदों के बीच चश्मे का भी वितरण किया।

इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग आज 70वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। इस अवसर पर यहाँ झंडोत्तोलन कार्यक्रम में शामिल आप सभी लोगों को मैं गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देता हूँ। उन्होंने कहा कि जब देश आजाद हुआ उसी समय यह तय हुआ कि हमारा संविधान होगा और संविधान सभा गठित की गयी, जिसके अध्यक्ष देशरत्न डॉ० राजेन्द्र प्रसाद बने। संविधान सभा में मुख्य जिम्मेदारी बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर को दी गयी जिन्होंने संविधान का प्रारूप तैयार किया, जिसे सविधान सभा ने स्वीकार किया। उसी संविधान के तहत यहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था चल रही है, यह कोई मामूली बात नहीं है। संविधान में सभी के लिए समान अवसर एवं समान अधिकार की व्यवस्था की गयी है। उस समान अवसर को प्राप्त करने की आप में क्षमता हो, इसके लिए विशेष अवसर भी प्रदान किये गये। उन्होंने कहा कि पूरे देश में समाज के हर तबके के लिए समान अधिकार की दिशा में काफी काम हुआ लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में कुछ दशकों तक आजादी मिलने को लेकर लोगों में प्रसन्नता थी, जो बाद में विकास की आकांक्षा के रूप में तब्दील हुई और विकास मुख्य मुदद बना।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर 2005 से हमने बिहार में न्याय के साथ विकास का काम प्रारंभ किया, जिसका मुख्य मकसद है हर तबके और हर इलाके का विकास जो निरंतर आगे बढ़ रहा है। हमने समाज के किसी भी वर्ग या इलाके की उपेक्षा नहीं की। हाशिये पर खड़े लोगों का आंकलन और अध्ययन कराकर उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किया और वह लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की कमान संभालने के बाद सबसे पहले पंचायत और नगर निकाय के चुनावों में महिलाओं के लिए अध्यादेश लाकर 50 प्रतिशत के आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की, जो बाद में कानून के रूप में परिणत हुआ। संविधान में महिलाओं को कम से कम एक तिहाई आरक्षण देने की व्यवस्था थी लेकिन हमने देखा कि जब आबादी आधी है तो आरक्षण भी आधी होनी चाहिए। इस प्रकार महिलाओं को पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में जब पंचायत चुनाव हुये, उस समय किसी को आरक्षण नहीं था। जब हमने आरक्षण लागू किया तो कुछ लोगों ने हमारा काफी मजाक उड़ाया लेकिन जब चुनाव का नतीजा आया तो उसमें 50 प्रतिशत से भी अधिक महिलायें जीतकर आईं, जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। इसके बाद महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उनमंे काफी जागृति आई। उन्होंने कहा कि आरक्षण लागू होने के बाद वर्ष 2006, 2011 एवं वर्ष 2016 में ग्राम पंचायत के तीन चुनाव और वर्ष 2007, 2012 एवं 2017 में नगर निकाय के भी तीन चुनाव हो गये। हमलोगों ने जो कानून बनाया उसको कई लोगों ने चुनौती भी दी लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से फैसला हमारे पक्ष में आया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए गाँधी जी का विचार था कि विकास का काम विकेन्द्रीकृत तरीके से हो और आज बिहार में सात निश्चय योजनाओं के तहत होने वाले सभी काम विकेन्द्रित तरीके से हो रहे हैं, जिसका फायदा समाज का हर तबका ले रहा है। उन्होंने कहा कि गांधी, लोहिया और जे०पी० के विचारों से हम प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2017 तक बिहार के हर गाँव तक बिजली पहुँचाने के बाद अप्रैल 2018 तक बिहार के हर टोले तक बिजली पहुँचाई गई और लक्ष्य से दो माह पूर्व ही 25 अक्टूबर 2018 को बिहार के हर इच्छुक परिवार को बिजली का कनेक्शन उपलब्ध करा दिया गया। इसके बाद अब पूरे बिहार में बिजली के जर्जर तारों को बदलने एवं अलग कृषि फीडर के माध्यम से खेतों की सिंचाई के लिए बिहार के हर इच्छुक किसान को इस साल के अंत (दिसंबर 2019) तक बिजली का कनेक्शन मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इस दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण सहित हर क्षेत्र में विकास का काम किया जिसका लाभ समाज के हर तबके को मिल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गणतंत्र दिवस के मौके पर पसही टोला के झंडोत्तोलनकर्ता वयोवृद्ध श्री रामदेव चौधरी का भाषण सुनकर मुझे बेहद खुशी हुई है, जिन्होंने अपने भाषण में शराबबंदी और नशामुक्ति की चर्चा की है। उन्होंने कहा कि 9 जुलाई 2015 को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में महिलाओं ने एक सम्मेलन के दौरान शराबबंदी की मांग की थी, उस समय हमने कहा था कि फिर सेवा करने का मौका मिला तो इसे लागू करेंगे। उसके बाद 1 अप्रैल 2016 से चरणबद्ध तरीके से हमने बिहार में शराबबंदी लागू की और लोगों की मांग को देखते हुए 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी। शराबबंदी के बाद शहर हो या गाँव सभी जगह समाज में शान्ति का माहौल कायम हुआ है। लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। घर के अंदर महिलाओं एवं बच्चों में खुशहाली लौटी है, बावजूद इसके चंद लोग जो गड़बड़ करने या शराब का अवैध धंधा करने में लगे हैं, वे मेरे खिलाफ बोलते रहते हैं, जिसकी हमें कोई परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद जगह-जगह कार्यक्रमों में महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किये कि वे काफी प्रसन्न हैं। जब से शराब पीना लोगों ने बंद किया है बिहार में दूध की खपत, मिठाई की बिक्री, कपड़ा, फर्नीचर और जरूरत के सामानों की बिक्री काफी बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि अब हर राज्य में महिलाओं और बच्चों की तरफ से शराबबंदी की मांग जोर पकड़ने लगी है और यदि आप सभी पूरी मजबूती के साथ बिहार में अभियान चलाइयेगा तो मुझे पूरा यकीन है कि देश में शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी।

समारोह में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे बिहार में बिजली के खम्भे पर एक टेलीफोन नंबर लिखवाया गया है, अगर कोई भी गड़बड़ी करता है तो उस नंबर के जरिये आप सूचना दे सकते हैं। सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा और कुछ घंटे के अंदर ही गड़बड़ करने वालों पर कार्रवाई होगी। कार्रवाई के संदर्भ में भी आपसे पूछा जाएगा कि आप इससे संतुष्ट हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि नई तकनीक के माध्यम से इसके लिए आई०जी० प्रोहिबिशन का एक तंत्र विकसित किया गया है और गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होती है। हमलोग किसी को बख्शते नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए आप सभी को निरंतर प्रयास करना चाहिए और अभियान चलाना चाहिए क्योंकि सिर्फ कानूनी या प्रशासनिक तंत्र से यह संभव नहीं है। बिहार की जेलों में 38 हजार लोगों को रखने की क्षमता है लेकिन जब शराबबंदी लागू हुई तो कुछ नेताओं ने कहना शुरू किया कि एक लाख से भी ज्यादा गरीब-गुरबे लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया है। इसलिए एक से एक लोग हैं भड़काने वाले और उल्टा काम करने वाले जिनसे सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो परिवार हाशिये पर खड़ा है या शराब या ताड़ी के काम में लगे हुए थे उन्हें वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने सतत् जीविकोपार्जन योजना के रूप में नई स्कीम शुरू की है। इस योजना के तहत 60 हजार से 1 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता वैकल्पिक रोजगार के लिए मुहैया कराई जा रही है। जीविका समूहों के माध्यम से ऐसे परिवारों को चिह्नित कर सतत् जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जा रहा है। सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत वैकल्पिक रोजगार से जुड़ने वाले लोगों को शुरू के सात महीनों तक प्रतिमाह एक हजार रूपये की सहायता भी प्रदान की जा रही है ताकि वे अपने परिवार का ठीक से भरण-पोषण कर सकें। उन्होंने कहा कि हम हर पहलू को देखकर काम करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के साथ-साथ बिहार में बाल विवाह और दहेज प्रथा उन्मूलन जैसे समाज सुधार की दिशा में भी अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ कानून बने हुये हैं लेकिन फिर भी ऐसी घटनायें देखने को मिलती हैं। बाल विवाह के कारण कम उम्र में गर्भधारण करने से महिलायें मौत की शिकार हो जाती हैं और उनसे जो बच्चे पैदा होते हैं वे बौनेपन के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले दहेज प्रथा सम्पन्न घरानों तक सीमित था लेकिन अब यह गरीब-गुरबों तक फैल गया है। इसके खिलाफ सशक्त अभियान पूरे बिहार में चलाया जा रहा है इसलिए 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़कियों एवं महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए साइकिल योजना, पोशाक योजना चलाने के साथ ही स्वयं सहायता समूहों का भी गठन किया जा रहा है। लड़कियों को मिलने वाली पोशाक की राशि बढ़ाने के साथ ही मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बेटी पैदा होने के समय उसके माता-पिता को दो हजार रूपये, आधार से लिंक कराए जाने पर एक हजार रुपये और सम्पूर्ण टीकाकरण होने पर दो हजार रुपये दिये जा रहे हैं ताकि बेटों की तरह बेटी पैदा होने पर लोग खुशियाँ मना सकें। इसके अलावा इंटर पास करने वाली अविवाहित लड़कियों को 10 हजार रुपये और ग्रेजुएट होने पर लड़की विवाहित हो या अविवाहित उसे 25 हजार रुपये राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है। इस प्रकार साइकिल और पोशाक के अतिरिक्त एक लड़की के पैदा होने से लेकर उसे ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने तक राज्य सरकार उस पर 54 हजार 100 रुपये खर्च कर रही है।

समारोह में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटा हो या बेटी सभी को पढ़ाइये और बेटे की तरह बेटी पैदा होने पर जब परिवार के लोग खुश होंगे, तभी समाज बदलेगा। उन्होंने कहा कि समाज में झगड़ा और कटुता पैदा करने की कोशिश हो रही है, ऐसे में हम सभी को आपसी भाईचारे के साथ एक दूसरे के साथ मिलकर रहने की जरूरत है तभी विकास का हमें पूरा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि समाज में प्रेम, भाईचारा, सहिष्णुता, सदभाव और सौहार्द्र का वातावरण कायम होगा तो विकास का लाभ कई गुना हमें मिलेगा। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि अपने धर्म के प्रति पूरी आस्था और निष्ठा रखने के साथ ही दूसरे धर्म के प्रति भी मन में आदर और सम्मान का भाव रखिये। स्थानीय लोगों की मांग जिसमे रामपुर-फरीदपुर में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत सरकार भवन, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, पसही से मूसाचक मंदिर तक सड़क निर्माण, मध्य विद्यालय को उत्क्रमित करके माध्यमिक विद्यालय में परिणत करने, प्राथमिक झुग्गी-झोपड़ी विद्यालय में दो अतिरिक्त वर्ग कक्ष एवं शौचालय निर्माण को मुख्यमंत्री ने जायज ठहराते हुये कहा कि आप सभी को मुझे यह बात बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि स्थानीय लोगों की जो मांगें हैं, उन्हें पहले ही मंजूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी मांगों पर अमल करते हुए पंचायत सरकार भवन के लिए स्वीकृति दे दी गयी है और मध्य विद्यालय को माध्यमिक विद्यालय में भी उत्क्रमित करने का आदेश दे दिया गया है। वहीं 1 करोड़ 65 लाख 3 हजार रूपये की लागत से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जबकि 26 लाख रूपये की लागत से सामुदायिक भवन सह वर्कशेड का यहाँ निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि फरीदपुर के पसही टोला से मूसाचक मंदिर तक 3 करोड़ 79 लाख 64 हजार 100 रूपये की लागत से सड़क निर्माण कराया जायेगा, इसकी भी स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके अलावा पसही टोला के वार्ड संख्या 11 में आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण एवं प्राथमिक झुग्गी-झोपड़ी विद्यालय में दो अतिरिक्त वर्ग कक्ष एवं शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे काफी खुशी है कि जो योजनायें चल रही हैं, उसका लाभ आज यहाँ कुछ लोगों को प्रदान किया गया है।

समारोह को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री रामकृपाल यादव, विधायक श्री श्याम रजक, जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती अंजू देवी, फुलवारीशरीफ प्रखंड प्रमुख श्रीमती मुन्नी देवी, रामपुर-फरीदपुर के मुखिया श्री नीरज कुमार, झंडोत्तोलनकर्ता वयोवृद्ध श्री रामदेव चौधरी एवं जिलाधिकारी श्री कुमार रवि ने भी संबोधित किया।इस अवसर पर विधान पार्षद श्री अशोक चौधरी, विधान पार्षद श्री दिलीप चौधरी, पूर्व मंत्री श्री भगवान सिंह कुशवाहा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, आयुक्त श्री आर०एल० चोंगथू, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक श्री जितेन्द्र सिंह गंगवार, डी०आई०जी० श्री राजेश कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्रीमती गरिमा मल्लिक सहित जीविका दीदियाँ, स्कूली छात्र-छात्राएं एवं बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।

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