पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। इस चुनाव में एनडीए के घटक दल भाजपा, जदयू एवं लोजपा तथा महागठबंधन के घटक राजद, कांग्रेस एवं बाम दलो के गठबंधन तय है। वहीं तीसरा गठबंधन ओवैसी, देवेन्द्र यादव वाली पार्टी ने चुनावी समर में कुद गए हैं। इस चुनाव में जातिय समीकरण को साधते हुए अपने हिसाब से साधने में जुट गये हैं।
एनडीए तथा महागठबंधन में नेताओं के बीच नुरा कुश्ती जारी है। सुशासन की नीतीश सरकार ने विकास के मुद्दे पर कभी भी चुनाव नहीं लड़ा। वे हमेशा 200 5का लालू- राबड़ी के शासन का भय दिखा कर सता पर काबिज रहना चाहते हैं। वहीं, राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव को जेल में रहने के कारण सराहनीय जिम्मेदारी तेजस्वी प्रसाद यादव पर है। इस कोरोना काल में चुनावी प्रचार कम कर दिया गया है। ऐसे में लालू प्रसाद के कानो कान चुनावी अभियान को मुर्त रूप देने की जरूरत है।
एनडीए एवं महागठबंधन के घटक दलो ने वचुवर्ल रैली करने में जुट गये हैं। इस चुनाव में दो युवा नेताओ का धमाके दार प्रवेश हुआ है। युवाओं में खुशियों का महौल देखा जा रहा है राजद के युवा तेजस्वी प्रसाद यादव एवं लोजपा के चिराग पासवान की लोकप्रियता बढती देख नीतीश कुमार की होश उड़ गयी है। जिससे राजनीतीक गलीयारे चर्चा का विषय बन गया है कि हर बार उम्रदराज लोगों पर जनता विश्चास करती रही है। इन दोनों युवाओं पर भाग आजमाने हेतु चुनावी रेस के घोड़ा तौर पर देख रही है। एक चुनाव रेस के घोड़ा तेजस्वी यादव के पिता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चारा घोटोले के चलते जेल में बंद है।
दुसरी रेस के घोड़ा चिराग पासवान के पिता लोजपा सूप्रीमों रामविलास पासवान अस्पताल में भर्ती है। जिसके कारण वरिष्ठ नेताओं का हनक इस चुनावी दंगल में सुनायी नहीं देगा। इससे जनता कयास लगाना शरू कर दिया है। इस चुनावी रण क्षेत्र में भाजपा बनाओं महागठबंधन के बीच है। लेकिन दोनो घटक दल भाजपा एवं कांग्रेस में चुनावी रेस में दिखाई दुर दुर तक दिखाई नहीं दे रहे हैं। दोनों राष्ट्रीय पार्टी केन्द्रीय नेतृत्व के भरोसे अपनी राजनीतीक संजीवनी मान रहे हैं। वहीं जदयू के रेस का घोड़ा 15 वर्षों से कायम है।
इस बार के चुनाव में युवाओं का तादाद काफी होने से नये रेस का घोड़ा चुनने में बाद है। ऐसी स्थिति में एनडीए के घटक दल लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान एवं महागठबंधन के घटक दल राजद के तेजस्वी यादव के बीच में दंगल होना तय दिख रहा है। अब यह देखना है कि दो राजनीतीक दलों के राजनीतिक महाधुरंधर के पुत्र अपने पिता के विरासत को बचाने में कितना कामयाब होते है यह तो वक्त बतायगा। इस चुनाव में बाम दलों एक साथ चुनाव में उतर रहे है। उसका रेस का घोड़ा कन्हैया कुमार है।
जो सरकार बनाने महत्वपूर्ण भूमिका होगी। तीसरे मोर्चे बनाने में संयुक्त जनतांत्रिक सेक्यूलर गठबंधन बनाने में पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव एवं एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद असदुद्दीन ओवैसी के हनक से महागठबंध की नींद उड़ गयी है। क्योंकि इनके परमपराग्त वोट राजद का ही है। ऐसी स्थिति में सियासी दांव पेंच को देखते हुए नीतीश कुमार अशस्वत है, और वे चौथी पारी खेलने के लिए तैयार है। पप्पू यादव ने लोकतांत्रिंक गठबंधन बनाकर रण क्षेत्र में उतरते दिख रहे है। वहीं रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा पेशो पेश में है। वैसी स्थिति में चुनाव दो महागठबंधन के बीच होना तय है।