मनेर:विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है पटना जिले के नजदीक गंगा, सोन एवं गंडक नदी के संगम पर सिथत मनेर विधानसभा क्षेत्र में राजद के लिए चुनौती बनता जा रहा है। यादव बहुल राजद के गढ़ माने जाने वाले मनेर विधानसभा सीट पर राजद का कब्जा है। राजद के विधायक भाई बीरेंद्र हैट्रिक लगाना चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।
पार्टी मे भाई बीरेंद्र जी का कद काठी जरुर बढा है। लेकिन राजद कार्यकर्ताओं से दूर है जिसके कारण प्रत्याशी बदलने की मांग हो रही है। क्योंकि कार्यकर्ता पार्टी का रीढ होता है ऐसे में राजद विधायक भाई विरेन्द सवप्रर्थम समता पार्टी से चुनाव जीतेगा। उसके बाद प्रो.श्रीकांत निराला के राजद छोड़ने के बाद राजद में शामिल हो गए। क्षेत्र में कार्यकत्ताओं एवं मतदाताओं को विधायक के प्रति नाराजगी देखते हुए राजद प्रत्याशी के रूप में पटना राजद जिलाध्यक्ष देव मुनी सिहं यादव, अशोक गोप, कविता देवी एवं ललन कुमार भावी उम्मीदवारी मानकर श्रेत्र में डटे हुए हैं।
उधर राजद के बरिष्ठ नेता नरेंद्र कुमार ने तेजस्वी प्रसाद यादव को उम्मीदवार बनाने की मांग की है दुसरी ओर एनडीए गठबंधन के घटक दल भाजपा, जदयू एवं लोजपा अपने हिसाब से परम्परागत सीट मानते हुए दावेदारी जता रहे हैं। एनडीए के प्रो श्रीकांत निराला 2010 में जदयू के टिकट चुनाव लड कर हार गये थे। वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के राजद के साथ गठबंधन हो जाने के बाद भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ चुके हैं। वैसे भाजपा के खाते में सीट मिलती हैं तो उसमें प्रबल दावेदार भाजपा के प्रवक्ता डॉ निखिल आनंद, श्रीकांत निराला एवं डॉ. शिवनंदन सिंह नाम सुर्खियों में है पार्टी के निर्देशनुसार 2010 के गठबंधन के फर्मूला पर सीट तय होती है तो जदयू के खाते में जाना तय है। उसमें भाजपा से जदयू का दामन पूर्व विधायक श्रीकांत निराला दामन थाम सकते हैं।
वैसे में पहले से जदयू के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक प्रोफेसर सूर्यदेव त्यागी, बिनोद कुमार सिंह अपनी उम्मीदवारी पक्का मानते हुए धुआधार प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषक रंजय कुमार का मानना है कि इस विधानसभा श्रेत्र का बनावट उपरवार- निचरवार होने के वाबजूद मुख्य लडाई महागठबंधन बनाम एनडीए के होते हुए सांढ- भैसा की रही है। जिस दल से टिकट भाई बीरेंद्र या प्रोफेसर श्रीकांत निराला ले ले। वहां होने के चलते एकाध वार छोड़ राजद के उम्मीदवारो का ही कब्जा रहा है।
राजद कार्यकर्ताओं के विरोधी लहर एवं विधायक द्वारा समता काल के कार्यकर्ताओ को अधिक तरजीह देने को खारिज करते हुए आम मतदाता भाई बीरेंद्र को नहीं राजद सुप्रिमो लालू यादव के लालटेन को वोट देते रहे हैं। यहां युवा मतदाता दोनों को छोड़ नये युवा चेहरे की तलाश में है ? यहां हार-जीत का अंतर 5 से 10 हजार की होती रही है। अब देखना यह है कि मनेर के सुप्रसिद्ध लड्डू कौन चखने में बाजी मार सकता है।