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भूटानी टेंपल के निर्माण से भारत और भूटान के बीच परस्पर संबंध और मजबूत होंगे : नीतीश

राजगीर में घोड़ाकटोरा में सुंदर झील है, जिसमें 50 फीट की बुद्ध की प्रतिमा बनकर तैयार है, यहॉ 25 नवंबर को सेंटिफाईंग प्रेयर किया जाएगा।

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में परम पावन जे खेनपो की उपस्थिति में भूटानी टेंपल के शिलापट्ट का अनावरण कर शिलान्यास किया और पूजा अर्चना की। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले मैं परम पावन एवं उनके साथ आये पूरे विशिष्टगणों का बिहार सरकार एवं प्रदेश की जनता की तरफ से अभिनंदन करता हूूॅ। उन्होंने कहा कि भूटान और भारत परस्पर औपचारिक राजनयिक संबंधों का संयुक्त 50वां वर्ष मना रहा है और इसी समय भूटानी टेंपल के निर्माण के लिए समय का चयन करना बिहार के लिये गौरव की बात है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे मई 2011 में भूटान जाने का मौका मिला था, वहां जाकर मुझे बहुत खुशी हुई थी। हमने देखा कि वहां पर्यावरण के प्रति लोगों का काफी लगाव है। उन्होंने कहा कि वहॉ की सरकार ने तय कर दिया है कि भूटान में न्यूनतम 60 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र रहेगा और जब मैं मई 2011 में भूटान गया था तो उस समय 72 प्रतिशत वनाच्छादित था। भूटान में जो भी काम मैंने होते देखा, उससे काफी खुशी हुई। भूटान में पनबिजली के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। वहॉ 30 हजार मेगावाट बिजली परियोजना की क्षमता है। अभी 10 हजार मेगावाट पनबिजली परियोजना पर काम चल रहा है, जिसे मुझे भी देखने का मौका मिला था। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूटान में हैपिनेश की बात की जाती है। भूटान नरेश ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की अवधारणा दी। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, लोकतंत्र जैसी चीजों को आधार बनाया। आज के जमाने में जीडीपी की बात की जा रही है लेकिन भूटान में लोग कैसे खुश रहें, इसके बारे में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम भूटान गए थे तो उस समय वहां के लोगों ने राजगीर में मंदिर निर्माण की बात कही थी। हमलोगों ने इसके लिए सभी जरुरी उपाय किये और आज उसी जमीन पर मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि यह मंदिर भव्य बनेगा। बोधगया में भी भूटान के लोग आते हैं और अब राजगीर में भी आएंगे। उनलोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए जरुरी इंतजाम किए जा रहे हैं। भूटान के लोगों में शिक्षा के प्रति लगाव है, उनमें सांस्कृतिक शिक्षा बौद्ध धर्म से विरासत में मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ज्ञान की भूमि है, ज्ञान प्राप्ति के पूर्व भी सिद्धार्थ यहां आए थे। ज्ञान की प्राप्ति के बाद बुद्ध यहां रहे थे, वेणु वन में ठहरते थे और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देते थे। गृद्धकूट पर्वत पर ही जापान के फूजी गुरुजी ने विश्व शांति स्तूप का निर्माण करवाया था, हाल ही में उसका 49वां स्थापना दिवस समारोह भी मनाया गया। 25 अक्टूबर 2019 को 50वां स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया जाएगा। बापू के आदर्शों पर भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बापू का 150वां जयंती समारोह भी मनाया जा रहा है। राजगीर में पंच पर्वत पर ग्रीन एरिया है। यहां जू सफारी और ग्रीन सफारी भी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बगल में ही नालंदा विश्वविद्यालय का पुर्नर्निमाण कराया जा रहा है। एक समय नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, जहां देश-विदेश के 10 हजार से ज्यादा छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे। उन्होंने कहा कि हमलोगों का बुद्ध के प्रति समर्पण है, उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान है। राजगीर में घोड़ाकटोरा में सुंदर झील है, जिसमें 50 फीट की बुद्ध की प्रतिमा बनकर तैयार है, यहॉ 25 नवंबर को सेंटिफाईंग प्रेयर किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बुद्ध सर्किट का निर्माण कराया जा रहा है। पटना में भगवान बुद्ध के 2550वें निर्वाण दिवस पर बुद्ध स्मृति पार्क का निर्माण करवाया गया। छह देशों से आए हुए अवशेषों से करुणा स्तूप बनाया गया। बुद्ध से संबंधित म्यूजियम का निर्माण एवं बिपश्यना केंद्र भी बनाया गया है। यहां पर बुद्धिस्ट कल्चरल सेंटर स्थापित करने की भी योजना है। उन्होंने कहा कि वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन स्तूप का निर्माण कराया जाएगा, जो पत्थर से निर्मित होगा। वैशाली में ही बुद्ध का एक मात्र अस्थि कलश मिला था, जिसे इस स्तूप में रखवाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि परम पावन जे खेनपो जी ने बोधगया और राजगीर में आकर जो प्रार्थना किया, उसका लाभ हम सबको भी मिलेगा। भूटान के लोग अच्छी फसल होने पर यहां बोधगया में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर भगवान बुद्ध को धन्यवाद करने आए थे। राजगीर में जो भूटानी मंदिर बनेगा, उससे राजगीर का महत्व और बढ़ेगा और यहां भूटान ही नहीं बल्कि भारत के अन्य हिस्सों के लोग भी मंदिर के दर्शन को आएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूटानी टेंपल के निर्माण से भारत और भूटान के बीच परस्पर संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति सचेत होना जरुरी है। यहां जो प्रार्थना होगी, उससे लोगों में पर्यावरण के प्रति भी जागरुकता का भाव पैदा होगा। पर्यावरण के सुरक्षित रहने पर ही इस धरती पर जीव-जंतु, पशु-पक्षी सभी लोग सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि भूटान के लोगों में बिहारियों के प्रति प्रेम का भाव है। बिहार के लोग भी आपके यहां जाकर मेहनत से काम करते हैं। बिहार के लोगों के मन में भी आपलोगों के प्रति अपार श्रद्धा है।

समारोह को परम पावन जे खेनपो ने भी संबोधित किया और भूटानी मंदिर के लिये बिहार सरकार के द्वारा भेंट की गयी 2.8 एकड़ भूमि एवं अन्य जरूरी सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री एवं परम पावन जे खेनपो ने परस्पर प्रतीक चिन्ह् का आदान प्रदान कर एक दूसरे का सम्मान किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष भूटान और बिहार के कलाकारों द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। मुख्यमंत्री ने भूटानी मंदिर के शिलान्यास के पश्चात प्रस्तावित मंदिर निर्माण की प्रोजेक्ट से संबंधित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
इस अवसर पर परम पावन जे खेनपो, सम्मानीय ग्यालट्रल रिनपोचे, परम पावन के साथ आये सम्मानीय लामागण, विशिष्ट सदस्यगण, भारत में भूटान के राजदूत मेजर जेनरल वी. नारेंग्येल, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, भारत में भूटान के पूर्व राजदूत एवं पूर्व सांसद पवन वर्मा, नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र कुमार, विधायक रवि ज्योति कुमार, विधायक जीतेन्द्र कुमार, रॉयल गवर्नमेंट ऑफ भूटान के पदाधिकारीगण, केन्द्र एवं राज्य सरकार के पदाधिकारीगण, भूटान से आये अतिथिगण, अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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