भाजपा के संकल्प पत्र पर तेजस्वी समेत विपक्ष का बड़ा वार

भाजपा के संकल्प पत्र पर तेजस्वी समेत विपक्ष का बड़ा वार
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Patna / Bihar: आज बीजेपी द्वारा जारी मेनिफेस्टो को लेकर विपक्ष में गहमा गहमी का माहौल दिखा। इसपर अलग-अलग राजनितिक पार्टियों कि ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई।

Highlights:

  • भाजपा द्वारा जारी 'संकल्प पत्र' पर तेजस्वी समेत विपक्ष का करारा हमला  
  • कहा- भाजपा के मेनिफेस्टो में नौकरी, रोजगार, महंगाई और गरीबी हटाने या कम करने का कोई जिक्र नहीं
  • सीपीआई के दीपांकर भट्टाचार्य ने मेनिफेस्टो को जनता से विश्वाशघात और उनकी विफलताओं का पुलिंदा करार दिया

जानकारी हो कि भाजपा द्वारा जारी मेनिफेस्टो जिसे संकल्प पत्र भी कहा जाता है। जारी संकल्प पत्र पर विपक्ष हमलावर दिखी और पहली प्रतिक्रिया बिहार से आयी जहाँ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणा पत्र में महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी को हटाने या कम करने का कोई जिक्र नहीं है।

मेनिफेस्टो में नौकरी और रोजगार का कोई जिक्र नहीं

तेजस्वी ने कहा  – ''भाजपा के घोषणा पत्र में कहीं भी नौकरी, रोजगार, महंगाई और गरीबी को हटाने अथवा कम करने का कोई जिक्र नहीं है।'' भाजपा के घोषणा पत्र में देश के 60 फीसदी युवाओं, 80 प्रतिशत किसानों और देश के लगभग छह लाख 40 हजार से अधिक गांवों के लिए कुछ भी नहीं है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सहित देश के पिछड़े और गरीब राज्यों के विकास एवं उत्थान के लिए भी भाजपा के घोषणा पत्र में कुछ नहीं है।

ज्यादा सांसद होने के बावजूद भी उन राज्यों के लिए कोई घोषणा नहीं – तेजस्वी

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों से लोकसभा के सबसे अधिक सांसद आते हैं, उन राज्यों के विकास के लिये भी घोषणा पत्र में कुछ नहीं है।
राजद नेता ने आरोप लगाया कि वे (भाजपा नेता) अपने घोषणा पत्र में नौकरी, रोजगार, युवा, किसान, जवान और गांव को पूर्णतः भूल गए हैं।

संकल्प पत्र नहीं जुमला पत्र – दीपांकर भट्टाचार्य, महासचिव दीपंकर

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि भाजपा का घोषणापत्र खोखले वादों से भरा है, जिसे ''जुमला पत्र'' कहा जाना चाहिए।''
देश के ज्वलंत मुद्दे चाहे वह किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देना, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना, युवाओं को स्थायी नौकरियां और सम्मानजनक वेतन, महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने अथवा जाति जनगणना और आरक्षण का दायरा बढाए जाने की मांग का कहीं कोई जिक्र नहीं है।

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