बिहार में गन्ना की समय को लेकर लोगों की उलझनें बढ़ती जा रही है। हालांकि महाप्रबंधक बी. एन. त्रिपाठी ने शुक्रवार को यहां बताया कि तिरुपति शुगर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक दीपक यादव के निर्देश पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के गन्ना बीज प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर की निदेशक डॉ. हेम प्रभा, गन्ना प्रजनन केंद, रीजनल सेंटर करनाल के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. के. पांडेय एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रवींद कुमार तथा उपनिदेशक गन्ना विकास विभाग, बिहार सरकार कुंवर सिंह की उपस्तिथि में एक सहमति पत्र (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए।
अधिकारियों ने बताई खास बात
त्रिपाठी ने बताया कि इस एमओयू के अनुसार गन्ना बीज प्रजनन संस्थान द्वारा अपनी देखरेख में बगहा चीनी मिल के प्रक्षेत्र पर गन्ने की 50 ऐसी प्रजातियों का परीक्षण करने की सहमति हुई है, जो जलजमाव को सहन करते हुए अधिक उत्पादन एवं अधिक चीनी परता धारित करती हैं। उन्होंने बताया कि उक्त प्रजातियों के सफल परीक्षण के बाद उन्हें सामान्य बुवाई के लिए कृषकों को उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके पूर्व करनाल से आये वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा पूरे क्षेत्र का भ्रमण किया गया तथा क्षेत्र में लाल सड़न रोग एवं कीटों के प्रकोप का अध्ययन कर समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियो सहित गन्ना किसानों को रोग एवं कीटों के प्रभावी नियंत्रण के लिए सुझाव भी दिए गए।
जलजमाव पर क्या बोले अधिकारी ?
गन्ना बीज प्रजनन संस्थान एवं चीनी मिल के मध्य हुए इस ऐतिहासिक एमओयू के बाद बगहा क्षेत्र के किसानों को निकट भविष्य में रोगरोधी एवं जलजमाव को सहन करने वाली अत्याधुनिक नवीनतम प्रजातियों के उपलब्ध होने के संभावना प्रबल हुई है। उम्मीद है कि निकट भविष्य में इस एमओयू से गन्ना की नवीनतम प्रजातियों के विकास में सहयोग प्राप्त होगा, जिसका लाभ क्षेत्रीय किसानों एवं चीनी मिल को भी प्राप्त होगा।