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बिहार विधानसभा उपचुनाव : कांग्रेस के अपने उम्मीदवार उतारने से विपक्षी महागठबंधन में संकट गहराया

बिहार में विपक्षी महागठबंधन के लिए संकट उस समय गहराता नजर आया जब कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।

बिहार में विपक्षी महागठबंधन के लिए मंगलवार को संकट उस समय गहराता नजर आया जब कांग्रेस ने कुशेश्वर अस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।
कांग्रेस ने उतारे अपने उम्मीदवार मैदान में
पटना स्थित कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में मंगलवार शाम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कुशेश्वर स्थान से अतिरेक कुमार और तारापुर से राजेश मिश्रा को कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया।
झा ने राजद (राष्ट्रीय जनता दल) द्वारा रविवार को एकतरफा रूप से अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करने के लिए पार्टी आलाकमान को धन्यवाद देता हूं। दोनों उम्मीदवार युवा हैं और पूरे जोश के साथ लड़ाई लड़ेंगे।’’
झा ने राजद के इस दावे का खंडन किया कि उसने अपने उम्मीदवारों की घोषणा से पहले कांग्रेस के साथ इस मामले पर ‘‘चर्चा’’ की थी और कहा, ‘‘यह मैं ही था, जिसने जगदानंद सिंह (राजद प्रदेश अध्यक्ष) को इसका कारण बताने के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने का फैसला किया।’’
बिहार में विपक्षी महागठबंधन में संकट गहराता
उल्लेखनीय है कि राजग के सभी घटक दलों के नेताओं ने चार दिन पहले एकजुटता प्रदर्शित करते हुए संयुक्त रूप से अपने गठबंधन के उम्मीदवारों की घोषणा की थी, जबकि पांच विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन का नेतृत्व करने वाले राजद ने रविवार को इन दोनों सीटों के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की एकतरफा घोषणा कर दी थी । पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान दरभंगा जिले में पड़ने वाली आरक्षित सीट कुशेश्वर स्थान महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे के तहत कांग्रेस के हिस्से में आयी थी, लेकिन उसका उम्मीदवार हार गया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या कन्हैया कुमार, जिन्हें राजद नेता तेजस्वी यादव के संभावित प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता है, को कांग्रेस में शामिल किए जाने से नाराज होकर राजद ने अपने उम्मीदवार की एकतरफा घोषणा कर दी है, झा ने कहा कि पिछले 15 दिन से कन्हैया के कांग्रेस में आने की चर्चा चल रही थी पर किसी ने यह नहीं कहा कि आप उन्हें अपनी पार्टी में शामिल क्यों कर रहे हैं?
उन्होंने कहा, ‘‘हरेक को अपनी पार्टी को मजबूत करने का अधिकार है और अगर महागठबंधन में शामिल हमारे अन्य सहयोगी दल किसी को अपनी पार्टी में शामिल कराते हैं तो हम उस पर कोई आपत्ति नहीं जताते । उसी तरह हम भी अपनी पार्टी की बुनियाद मजबूत करने में लगे हुए हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस के अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा किए जाने के बाद इस गठबंधन में शामिल अन्य वामदल किसके साथ हैं, झा से उन्होंने कहा कि वे अन्य तीनों घटक दलों भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी), माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) और भाकपा माले से इस उपचुनाव में सहयोग मागेंगे।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र एवं कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने बाद में पत्रकारों से कहा कि कन्हैया इस उपचुनाव में पार्टी की दस रैलियों को संबोधित करेंगे । खान ने राजद पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस दल के लिए धर्मनिरपेक्षता को कम महत्व देकर स्वयं को आगे बढ़ाना घातक सिद्ध होगा ।
कन्हैया को लेकर तेजस्वी की कथित असुरक्षा की भावना के बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा, ‘‘बिहार के लोगों को याद है कि कैसे पटना के गांधी मैदान में सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ कन्हैया की रैली से राजद ने खुद को दूर कर लिया था। राजद को हमने उस रैली में शामिल होने के लिए न्योता दिया था, पर उसके नेता नहीं आए। उस समय उक्त दल द्वारा लुका-छिपी का खेल खेला जा रहा था। उस समय राजद का कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया था।’’
खान ने कांग्रेस सहित अन्य राष्ट्रीय दलों में ‘‘आलाकमान संस्कृति’’ को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा परोक्ष रूप से किए गए कटाक्ष का भी जवाब दिया। उन्होंने लालू प्रसाद के दोनों पुत्रों (तेजस्वी और तेजप्रताप यादव) के बीच लगातार तनातनी का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि उन्हें पहले अपने बेटों को संभालना चाहिए और उनके बीच के मतभेदों को सुलझाना चाहिए जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं।‘‘

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