2015 विधानसभा चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस तीन दल का महागठबंधन था। लेकिन 2017 में नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद RLSP, VIP, माले, CPI और CPM और HAM जैसी पार्टियां 2020 के चुनाव के लिए आरजेडी और कांग्रेस के साथ यानी महागठबंधन के साथ खड़ी हो गई थी।
दरअसल महागठबंधन की रचना का मकसद एनडीए की सरकार हटाने के लिये विपक्षी मतों के बंटवारे को रोकना था। लेकिन हालात ऐसे बने कि जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ एनडीए में शामिल हो गई और RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने तो मायावती के BSP के साथ मिलकर नया मोर्चा ही बना लिया। बताया जा रहा है कि अब सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के नेता भी आरजेडी का नेतृत्व कर रहे लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव से नाराज हैं।
मिली जानकारी के अनुसार तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे का नया फार्म्यूला बनाया है। बता दें कि आरजेडी की ओर से कांग्रेस को 58 विधानसभा की सीट के साथ वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट का ऑफर किया गया है। एक तरफ जहां कांग्रेस इसे मानने को तैयार नहींं तो दूसरी तरफ आरजेडी के नेता इससे अधिक सीट देने को राजी नहीं दिख रहे। ऐसे में तेजस्वी यादव ने महागठबंधन में सीट शेयरिंग का नया फार्म्यूला तैयार किया है। सूत्र की माने तो सीट बंटवारे को लेकर इस नए फर्मूले में कांग्रेस की सीट 58 से बढ़ाकर 64 की गई है।
इसके अलावा कांग्रेस को यह भी कहा गया है कि वह आरजेडी के टिकट पर अपने 5 उम्मीदवार को चुनावी मौदान में उतारे। बता दें कि कांग्रेस की ओर से भी 70 से 75 सीट की उम्मीद की जा रही थी, ऐसे में आज दिल्ली में होने वाली बैठक में कांग्रेस इस नए फार्म्यूला पर मुहर लगा सकती है।
महागठबंधन को बचाकर रखने के लिए आरजेडी ने जो फार्म्यूला दिया है उसके तहत लेफ्ट (माले,सीपीआई,सीपीएम) को 22, मुकेश सहनी के वीआईपी को 6 और बचे 5 सीटों को झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुलायम सिंह यादव की पार्टी सपा को दी जाएगी। खुद आरजेडी 146 सीटों पर अपने उम्मीवार को चुनावी मैदान में उतारेगी। बता दें कि महागठबंधन में शामिल होने के बाद लेफ्ट की ओर से आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को 53 सीटों की सूची दी गई थी।
बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भाकपा-माले 98 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे तीन सीटों पर जीत मिली थी, भाकपा 91 और माकपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उन्हें कोई सीट नहीं मिली थी। यही वजह रही कि आरजेडी ने पिछला रिकार्ड देखते हुए भाकपा-माले, भाकपा एवं माकपा को उनकी मांग के मुताबिक सीटें देने को तैयार नहीं हुई।