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NDA में शामिल होने को लेकर मांझी का औपचारिक ऐलान, बिना शर्त JDU के साथ गठबंधन

जीतन राम मांझी ने पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम बिना शर्त जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ गठबंधन कर रहे हैं। अभी सीटों को लेकर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल होने को लेकर औपचारिक ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम जेडीयू के साथ मिलजुल कर चुनाव लड़ेंगे। 
मांझी ने बुधवार को पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम बिना शर्त जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ गठबंधन कर रहे हैं। अभी सीटों को लेकर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है। इसे बाद में बैठकर सुलझा लेंगे। चूंकि जेडीयू एनडीए का अंग हैं, इसिलए हम भी एनडीए के पार्टनर हैं। लेकिन हम नीतीश कुमार के नजदीक बने रहेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं बचपन से ही सिद्धांत पर चलता रहा हूं। जब मैंने देखा कि महागठबंधन के लोग समन्वय समिति के पक्ष में नहीं हैं, तब हम 20 अगस्त को महागठबंधन से अलग हो गए। मैंने 3 अगस्त को निर्णय लेने की बात कही थी, लेकिन आज लगा कि अच्छा काम जितना जल्दी हो जाए उतना अच्छा है। 
आज हमने निर्णय ले लिया है कि हम नीतीश कुमार की जेडीयू का एक अंग होकर उनके साथ रहने का इरादा किया है। मर्जर की बात हमारे लोग नहीं करते थे, इसलिए ऐसा नहीं हुआ है। हम उनके साथ पार्टनर के रूप में काम करेंगे। मांझी ने कहा कि उस दौरान मेरी एनडीए में प्रतिष्ठा थी। जब प्रधानमंत्री बहुत लोगों को नहीं जानते हैं। 
2015 में जब मीटिंग होती थी तो पीएम मोदी सबसे पहले जीतन मांझी का नाम लेते थे। अभी इंडिया राइजिंग की मीटिंग में मैं तीसरी पंक्ति में बैठा था, तब पीएम मोदी ने मेरा नाम लिया। सब लोग चकित रह गए कौन है मांझी। लेकिन मैं लालू प्रसाद यादव के गलत चक्कर में मैं पड़ गया। 
लालू जी ने मुझे सामाजिक न्याय और आरक्षण की बातों में फंसा लिया। लेकिन वहां गया तो पता चला कि वहां तो भाई भतीजावाद है। केवल अपने बारे में लोग सोचते हैं, ना कि राज्य के बारे में। खुद के चुनाव लड़ने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में मांझी ने कहा कि यदि उनके नेता, कार्यकर्ता और जेडीयू के लोग चाहेंगे तो मैं भी चुनाव जरूर लड़ूंगा।
हम अध्यक्ष ने कहा कि यह मामला सहयोगी दलों पर निर्भर करेगा। वैसे मेरा मानना है कि 75 वर्ष की आयु के बाद सक्रिय राजनीति में व्यक्ति को नहीं रहना चाहिए। जीतन राम मांझी ने कहा कि महागठबंधन में मैं उपेक्षित महसूस कर रहा था। वहां पर समन्वय समिति के गठन की मेरी बात भी नहीं मानी गई। यहीं कारण है कि हमने उसे छोड़ने का फैसला किया और आज नीतीश जी के साथ हो रहे हैं।

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