Bihar: CM नीतीश कुमार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, कई मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

Bihar: CM नीतीश कुमार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, कई मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
Published on

Bihar: सोमवार को बिहार सरकार ने जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार मंगलवार को 3:30 बजे सीएम आवास पर नौ दलों के साथ बैठक करेंगे।अब जातीय गणना के जारी आंकड़ों पर चर्चा होगी। राज्य सरकार सभी पार्टियों के सामने रिपोर्ट रखेगी और आर्थिक सर्वेक्षण पर भी चर्चा की जाएगी।
तेजस्वी यादव ने सोमवार को कहा…..
तो वहीं, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोमवार को कहा था कि जिनकी जितनी आबादी है उसके अनुसार उनको उतना हक मिलना चाहिए जिसके बाद बिहार में कई नेता हिस्सेदारी के हिसाब से मांग करने लगे हैं। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में अति पिछड़ा की भागीदारी पर जोर दिया जा सकता है. पिछड़ा तथा अति पिछड़ा के आरक्षण बढ़ाने की बात हो सकती हैं। जातीय गणना रिपोर्ट के अनुसार अति पिछड़ा और पिछड़ा की संख्या 63% से अधिक है तो अनुसूचित जाति 20% के आसपास है।
CM नीतिश कुमार सभी दलों के साथ करेंगे बैठक
सूत्रों के मुताबिक, बिहार में जो जाति आधारित गणना की गई है इसमें बहुत सारी खामियां हैं लेकिन चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे हड़बड़ी में रिपोर्ट जारी की है।इस रिपोर्ट के आधार पर अब जातीय गोलबंदी की तैयारी भी शुरू होगी और उसी को लेकर सीएम नीतिश कुमार सभी दलों के साथ बैठक करेंगे। जातिय गणना की रिपोर्ट के अनुसार 36.1% अति पिछड़ा और 27.12% पिछड़ा जाति की संख्या है यानी कुल 63.13% हैं। पहले से पिछड़ा और पिछड़ा का आरक्षण 27% हैं, चूंकि अब दोनों की आबादी 63% हैं। नियम के अनुसार 50 % से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
अति पिछड़ा और पिछड़ा को आगे कर चल रही है BJP
अभी बिहार में लालू प्रसाद यादव 1990 की राजनीति की चाल पर चल रहे हैं, लेकिन 1990 की राजनीति और अभी के राजनीति में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। उस वक्त पिछड़ा, अति पिछड़ा अनुसूचित जाति सभी को एकजुट करने में लालू प्रसाद यादव और जनता दल सफल हुए थे। फॉरवर्ड बनाम अन्य जातियों की लड़ाई थी और उस समय लड़ाई कांग्रेस से थी. लेकिन अभी हालात कुछ बदले हुए हैं। अभी लड़ाई पिछड़ा और अति पिछड़ा की है, क्योंकि केंद्र में प्रधानमंत्री भी अति पिछड़ा जाति से आते हैं।बिहार में भी बीजेपी अति पिछड़ा और पिछड़ा को आगे कर चल को आगे कर चल रही है।

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com