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बिहार : शराबबंदी कानून को कमजोर करने के लिए संशोधन लाएगी सरकार, विपक्ष ने खड़े किए सवाल

बिहार में सरकार शराबबंदी कानून के कड़े प्रावधानों को अब कमजोर करने को लेकर संशोधन लाने का निर्णय लेकर यह संकेत दे दिया है।

बिहार में सरकार शराबबंदी कानून के कड़े प्रावधानों को अब कमजोर करने को लेकर संशोधन लाने का निर्णय लेकर यह संकेत दे दिया है कि वह इस कानून की नीति को लेकर फंस गई है। बिहार के मुख्यमंत्री भले ही नितीश कुमार शराबबंदी को लेकर समाज सुधार अभियान यात्रा पर हैं, लेकिन विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष भी शराबबंदी कानून के कार्यान्वयन को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। बिहार में जहरीली शराब पीने से पिछले कुछ महीनों में 60 से अधिक मौतों के बाद विपक्ष ने शराबबंदी कानून को लेकर तेवर गर्म कर लिए थे, जबकि इस कानून को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी टिप्पणी की गई।
कैबिनेट में भी हो चुका है पास 
नीतीश सरकार द्वारा अब कानून के संशोधन को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार सरकार ने इसी कारण हड़बड़ी में संशोधन का निर्णय लिया है। इसके तहत शराबबंदी कानून संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट में पास भी कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि संशोधन को चालू बजट सत्र के दौरान ही सदन में पेश किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस नए संशोधनों का मुख्य जोर इस कानून के तहत गिरफ्तारियों को कम करना है। पहली बार शराब पीने वालों को जुमार्ना के साथ रिहा किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि करीब छह साल पहले इस कानून के तहत कई बार संशोधन किया जा चुका है।
राज्य में कभी शराबबंदी नहीं हुई : राजद
राज्य में विपक्ष राजद का कहना है कि बिहार में शराबबंदी कभी हुई ही नहीं। राजद ने कहा कि छह साल के दौरान शराब की बरामदगी में कोई कमी नहीं आई है। भले ही सरकार ड्रोन कैमरों के उपयोग जैसे कई उपाय तस्करों को पकड़ने के लिए किए हों। इधर, शराबबंदी कानून के संशोधन को लेकर भी राजद के नेता तेजस्वी यादव ने आलोचना करते हुए कहा कि इसका दुरूपयोग सीधे तौर पर लोगों से निजी दुश्मनी साधने के लिए भी किया जा सकेगा।
वर्ष 2016 में लगाया था प्रतिबंध 
नए संशोधन के तहत शराब के नशे में पकड़ा गया व्यक्ति यदि उसे शराब की आपूर्ति करने वाले की जानकारी देता है तो वह शराब पीने संबंधी जेल की सजा से बच सकता है या उसे सजा में छूट मिल सकती है। उन्होंने शराबबंदी कानून में प्रस्तावित संशोधन को हास्यास्पद बताते हुए आशंका जताई कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। नीतीश सरकार ने 2016 में राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था, उस वक्त तेजस्वी यादव तत्कालीन जदयू-राजद गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री थे।

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