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नतीजतन पंजाब की तुलना में बिहार की विकास दर डेढ़ दशाकों से लगातार दो गुना से ज्यादा रही : सुशील मोदी

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब किसानों से वार्ता चल रही है, इस बीच भारत बंद के आह्वान का कोई औचित्य नहीं था।

पटना, (पंजाब केसरी):  भाजपा महिला मोर्चा की ओर से प्रदेश कार्यालय स्थित अटल समागार में नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद व मंत्रिपरिषद के सदस्यों के अभिनन्दन के लिए आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब किसानों से वार्ता चल रही है, इस बीच भारत बंद के आह्वान का कोई औचित्य नहीं था।
 एपीएमसी एक्ट को 2006 में ही रद्द कर बिहार ने देश में सबसे पहले किसानों को बाजार समिति के चंगुल से मुक्त कर दिया जिसके कारण पिछलेे डेढ़ दशकों में पंजाब की तुलना में बिहार की विकास दर दो से ढाई गुना ज्यादा रही।  श्री मोदी ने बंद का आह्वान कर गायब रहने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की तुलना राहुल गांधी से करते हुए कहा कि चमकी बुखार, पटना में जल भराव या विधान मंडल सत्र के दौरान बिहार से गायब रहने वाले नेता प्रतिपक्ष इसी तरह से गायब रहे तो भाजपा को और लम्बे समय तक जनता की सेवा करने का मौका मिलेगा। 
 उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ट्वीट करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के किसानों को कुएं में ढकेल दिया है। राहुल गांधी को मालूम होना चाहिए कि किसानों को उस एक्ट से मुक्ति का ही नतीजा रहा कि 2005-06 में जहां पंजाब की विकास दर 5.9 तो बिहार का मात्र 0.9 प्रतिशत थी, मगर 2008-09 में पंजाब की 5.8 की तुलना में बिहार की विकास दर करीब ढाई गुना ज्यादा 14.5 प्रतिशत हो गई। एपीएमसी एक्ट को बरकरार रखने वाले पंजाब का 2011 से 2019 के बीच औसत विकास दर 7.5 जबकि बिहार की 13.03 प्रतिशत रही।  
दरअसल जिन्हें जनता ने नाकार दिया, चुनाव में पराजित हो गए, वे हताशा व निराशा में कृषि बिल को बहाना बना कर सरकार के खिलाफ माहौल बना रहे हैं, मगर नरेन्द्र मोदी ऐसे प्रधान मंत्री हैं जिन्हें कोई झूका नहीं सकता हैं। 2019 में कांग्रेस के घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट को निरस्त करने का जिक्र है। 2009-10 में भी कांग्रेस ने माॅडल एपीएमसी एक्ट लाने का वायदा किया था। जो काम कांग्रेस नहीं कर सकी उसे जब नरेन्द्र मोदी ने कर दिया तो वह विरोध का वितंडा खड़ा करना चाह रही है। आखिर पंजाब के किसान परेशान है तो बिहार, यूपी के किसान क्यों नहीं?   बिहार और केन्द्र की सरकार गांव, गरीब व किसानों के प्रति समर्पित हैं। बिहार की सरकार पूरे पांच साल चलेगी, इसे कोई हिला-डिगा नहीं सकता है।

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