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बिहार : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे बोले- राज्य केसभी अस्पतालों में हार्ट अटैक के रोगियों का उपचार पीपीपी मोड पर किया जायेगा

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि वर्तमान में राज्य के सभी जिलों में हार्ट अटैक के रोगियों को सामान्य चिकित्सीय उपचार के माध्यम से स्टेलाइज कर उच्च संस्थानों में उपचार के लिए रेफर किया जाता है।

बिहार विधानसभा में ललित यादव के अल्पसूचित प्रश्न के उतर में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि वर्तमान में राज्य के सभी जिलों में हार्ट अटैक के रोगियों को सामान्य चिकित्सीय उपचार के माध्यम से स्टेलाइज कर उच्च संस्थानों में उपचार के लिए रेफर किया जाता है। 
राज्य के 30 जिलों में ईसीजी सुविधा मरीजों को दी जा रही है। शेष आठ जिलों में प्रशिक्षित कर्मी/विशेषज्ञ की अनुपलब्धता के कारण ईसीजी जांच की सुविधा वर्तमान में अनुपलब्ध है। सभी सदर अस्पतालों के एक स्टाफ नर्स एवं एक सक्षम स्वास्थ्य कर्मी को ईसीजी मशीन पर प्रशिक्षण किये जाने हेतु कार्यालय द्वारा जिलों में नामांकन मांगा गया है। 

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राज्य में हार्ट अटैक के रोगियों के उपचार उपलब्ध कराने के लिए पीपीपी मोड में कैचलैब के संस्थापन हेतु निविदा प्रकाशित की गयी है इसके अन्तर्गत चिन्हित सात चिकित्सा महाविद्यालयों में कैचलैब संस्थापित कर उन्हें हब के रूप में एवं 33 जिला अस्पतालों में हार्ट अटैक के रोगियों के डायनोस्टिक एवं सामान्य उपचार हेतु स्पोक के रूप में विकसित किया जाना है। इसके अन्तर्गत चिन्हित चिकित्सा महाविद्यालयों में कैचलैब संस्थापित कर उन्हें हब के रूप में विकसित किया जाना है जिसमें 24&7 कार्डिक इमरजेंसी सेवा एवं प्राईमरी एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी की सुविधाएं उपलब्ध रहेगी। 
साथ ही यहां हर प्रकार के हृदय संबंधी रोगों की स्क्रीनिंग की जायेगी एवं आवश्यक उपचार किया जायेगा। यहां ईसीजी, इकोकार्डियोग्राफी, होल्डर एवं डे्रडमिल टेस्ट जैसे सभी प्रकार के अत्याधुनिक जांच किये जायेंगे। श्री पांडे ने कहा कि राज्य के 33 जिलों, पांच जिलों कैमूर, खगडिय़ा, किशनगंज, नालंदा एवं प. चम्पारण को छोडक़र, के सदर अस्पताल को स्पोक के रूप में विकसित किया जाना है।

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पूर्व में ईसीजी सुविधा उपलब्ध 30 सदर अस्पतालों सहित इन 33 सदर अस्पतालों में ईसीजी की सुविधा उपलब्ध होगी। प्राप्त ईसीजी रिपोर्ट को 5-10 मिनट के अन्दर ऑनलाइन हब के प्रेषित की जायेगी, जहां विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा इसकी जांच कर चिकित्सकीय स लाह दी जायेगी। इन सदर अस्पतालों में चेस्ट पैन के रोगियों की स्क्रीनिंग भी की जायेगी, इसके उपरांत उन्हें अर्ली डाग्नोसिस की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी, ताकि ससमय उपचार हेतु उन्हें हब में भेजा जा सके। 
इसके अतिरिक्त निजी सेवा प्रदाता द्वारा सदर अस्पताल के चिकित्सकों को कार्डिक इमरजेंसी के लिए क्षमता संवद्र्धन हेतु समय समय पर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जायेगा। एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में बीएमएसआईसीएल के स्तर से ईडीएल में निहित दर अनुबंधित औषधियों की आपूर्ति की जाती है।

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ईडीएल में निहित 351 प्रकार की औषधियों में से वर्तमान में बीएमएसआईसीएल द्वारा 218 प्रकार की औषधियों का दर अनुबंध किया गया है और इनमें से वर्तमान में 183 प्रकार की औषधियों की आपूर्ति जिलों में की जा रही है। इसके अतिरिक्त दवा मद में सरकार द्वारा आवंटित कुल राशि की 20 प्रतिशत राशि जिलों को सीधे आवंटित होती है जिससे जिला स्तर पर अन्य आवश्यक दवाएं जो निगम के स्तर पर उपलब्ध नहीं है, का क्रयकर उपलब्ध कराया जाता है। 
राज्य के सरकार अस्पतालों में ईडीएल में निहित आवश्यक औषधियों की औसतन उपलब्ध है। जिलों में औषधियों की आपूर्ति एवं वितरण की ऑनलाइन प्रक्रिया हेतु डीवीडीएमएस साफ्टवेयर को स्वचालित किया गया है। इस ऑन लाइन प्रक्रिया के तहत जिलों द्वारा ऑनलाइन इंडेंट भेजा जाता है और बीएमएसआईसीएल के स्तर से औषधियों की फिजिकली आपूर्ति केसाथ ही आपूर्ति की ऑनलाइन प्रविष्टि डीवीडीएमएस में किया जाता है।

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इसी प्रकार जिला अन्तर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में भी औषधियों की फिजिकली आपूर्ति एवं वितरण संबंधी जानकारी की प्रवृष्टि डीवीडीएमएस के माध्यम से किया जाना है। डीवीडीएमएस में आपूर्ति संबंधी प्रविष्टि अद्यतन एवं नियमित रूप से करने का अनुश्रवण किया जा रहा है ताकि रियल टाइम आंकड़ा उपलब्ध हो सके। 
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति को राज्यांश के रूप में 8.84 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ है एवं साथ ही 55 करोड़ रुपये की राशि पुन: राज्यांश के रूप में निर्गत करने हेतु आवंटनादेश प्राप्त हो गया है। 
विदित हो कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 138.83 करोड़ रुपये बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति को प्राप्त हुआ था जिसके विरूद्ध माह दिसम्बर, 2019 तक मात्र 835.50 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है एवं माह फरवरी, 2020 तक 102.66 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।

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