Bihar News : बिहार के दो जिलों में खेतों और फसलों में माइक्रोप्लास्टिक मिलने से बढ़ी चिंताए - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

Bihar News : बिहार के दो जिलों में खेतों और फसलों में माइक्रोप्लास्टिक मिलने से बढ़ी चिंताए

बिहार के दो जिलों में खेतों एवं फसलों में माइक्रो-प्लास्टिक की मौजूदगी मिलने से पर्यावरणविदों की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि इनकी मौजूदगी कई बीमारियों को जन्म दे सकती है।

बिहार के दो जिलों में खेतों एवं फसलों में माइक्रो-प्लास्टिक की मौजूदगी मिलने से पर्यावरणविदों की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि इनकी मौजूदगी कई बीमारियों को जन्म दे सकती है।बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने पीटीआई-भाषा से कहा कि हाल के अध्ययनों से बिहार के दो जिलों- भागलपुर और बक्सर में खेतों के साथ-साथ फसलों में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति का पता चला है। यह गंभीर चिंता का विषय है ।
पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत 
उन्होंने कहा कि जल्द ही इन दोनों जिलों में कृषि भूमि में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति का आकलन करने के लिए एक अध्ययन किया जाएगा। माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर से कम व्यास की प्लास्टिक सामग्री हैं जिन्हें पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है।पर्यावरण में जमा होने वाले प्लास्टिक कचडे को भौतिक, रासायनिक या जैविक क्रिया के तहत छोटे टुकड़ों और कणों में तोड़ दिया जाता है और धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक का निर्माण होता है।
 माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर की रक्त कोशिकाओं में प्रवेश 
घोष ने कहा कि प्लास्टिक के व्यापक उपयोग के कारण माइक्रोप्लास्टिक एक वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। प्लास्टिक मल्चिंग, सीवेज सिंचाई एवं उर्वरक कोटिंग जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण मिट्टी माइक्रोप्लास्टिक का सबसे बड़ा भंडार बन जाती है।माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक्स विभिन्न माध्यम जैसे नल का पानी, बोतलबंद पानी, समुद्री भोजन, पेय पदार्थ, दूध, नमक, फल और सब्जियों के जरिये मनुष्यों के संपर्क में आते हैं।उन्होनें कुछ रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर की रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं जो अंग विषाक्तता और खराब उपापचय गतिविधियों का कारण बन सकता है जिससे कैंसर रोग हो सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक का सेवन बांझपन, मोटापा, कैंसर जैसी बीमारियों से भी नजदीकी से जुड़ा हुआ है।
कृषि मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति के प्रतिकूल प्रभाव
पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के अनुसंधान केंद्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर घोष ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक दोनों ही प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में सर्वव्यापी हैं।कृषि मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताते हुए घोष ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक और नैनाप्लास्टिक को लेकर अधिक अध्ययन की जरूरत है क्योंकि यह मनुष्यों को प्रभावित करता है।केंद्र ने एक जुलाई से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस पर घोष ने कहा कि लोगों को भी आगे आना चाहिए और इसे लागू करने वाली एजेंसियों का समर्थन करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।