बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मंगलवार को इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कारोनाकाल चुनाव के लिए उपयुक्त समय नहीं है, शवों के ढेर पर चुनाव कराना सही नहीं है।
पटना में राजद प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यादव ने कहा कि जनता त्रस्त है और सत्ताधारी दल रैलियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था फिसड्डी है। नीति आयोग ने कहा कि 15 साल में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था खराब हुई है।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए सवालिया लहजे में कहा, क्या नीतीश कुमार को इस बात का डर है कि समय पर चुनाव नहीं हुए तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा और राष्ट्रपति शासन रहते ही चुनाव होगा? तेजस्वी ने कहा कि अभी बिहार में चुनाव कराने का सही समय नहीं है।
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उन्होंने आशंका जताई कि आने वाले एक-दो महीने में कोरोना की स्थिति और भयावाह होगी, जिसमें चुनाव कराना कहीं से उचित नहीं है। इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तेजस्वी यादव की ऐसी मांग पर पलटवार करते हुए उन्हें चुनाव आयोग के कार्यो में हस्तक्षेप नहीं करने की नसीहत दी।
भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने मंगलवार को कहा कि राजद चुनाव आयोग के काम में हस्तक्षेप न करे, राजद चुनाव मैदान से भागना चाहता है। उन्होंने कहा कि कोरोना से केंद्र और राज्य सरकार आम जनता के साथ मिलकर लड़ेगी। आनंद ने कहा, तेजस्वी यादव बहदवास थे, लेकिन राजनीतिक तौर पर हताश और निराश हो जाएंगे यह पता नहीं था।
चुनाव से संबंधित सभी निर्णय लेना चुनाव आयोग का विषय है। चुनाव कब, कहां, क्यों और कैसे होगा, यह निर्णय लेना चुनाव आयोग का काम है। लेकिन तेजस्वी यादव चुनाव से संबंधित अनर्गल बयानबाजी कर चुनाव आयोग के दायरे और कामकाज में अनावश्यक दखल देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को ऐसे विषयों पर बोलने से पहले अपनी पार्टी के वरिष्ठ एवं अनुभवी नेताओं से विचार-विमर्श कर लेना चाहिए।