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बिजली दरों में वृद्धि से बिहार सिर्फ ट्रेडींग राज्य बन कर रह जाएगा :‌चिराग पासवान

लोक जनक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार सरकार को चेताया है कि वह विद्युत आपूर्ति दर में 24.10 प्रतिशत की

पटना , ( पंजाब केसरी) : लोक जनक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार सरकार को चेताया है कि वह विद्युत आपूर्ति दर में 24.10 प्रतिशत की बढ़ोतरी वाले फैसले को वापस ले। अगर सरकार उस फैसले को वापस नहीं लेती है, तो पार्टी आगामी 9 अप्रैल को पूरे राज्य में मशाल जुलूस निकालेगी और उसके अगले दिन 10 अप्रैल को राज्यव्यापी धरना करेगी। पटना के श्रीकृष्णापुरी स्थित बिहार प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए चिराग ने कहा कि बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली दरों में 24.10 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी है साथ ही डिमांड चार्ज, फिक्स्ड चार्ज सहित कई चार्ज दोगुने कर दिए हैं, जिससे बिजली का दाम डेढ गुना बढ़ जाएगा जो सीधे-सीधे आम जनता के बजट को प्रभावित करेगा। साथ ही औद्योगिक इकाइयों को मिलने वाली बिजली के दाम में भी 35-55 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जो बचेखुचे उद्योंगों के पलायन का कारण बन सकता है जो चिंता का विषय है। चिराग ने कहा कि बिहार से सटे पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा जैसे अन्य प्रदेश की सरकारें अपनी जनता को बिहार की तुलना मे कम दरों पर बिजली मुहैया करा रही हैं, लेकिन बिहार सरकार बिजली का सारा बोझ जनता पर डाल रही है, जो हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है। चिराग ने कहा कि बिजली दरों में वृद्धि से बिहार सिर्फ ट्रेडींग राज्य बन कर रह जाएगा। पहले सिर्फ लोगों का पलायन होता था अब उद्योगों का पलायन होगा जिससे रोजगार के बचे-खुचे माध्यम भी खत्म हो जाएंगे। कुटीर उद्योग, हथकरघा, छोटे एमएसएमई जो अपने प्रतिस्पर्धा और कम लागत के लिए जाने जाते हैं वे इस राज्य में लॉस मेकिंग हो जाएंगे। हमारे हुनरमंद अब मजदूर हो जाएंगे। चिराग ने कहा कि जब पिछले साल 14 फरवरी 2022 को विनियामक आयोग के सामने 9.90 प्रतिशत बिजली दर बढ़ाने का मामला आया था तब उसने फैसला लिया था कि बिजली कंपनी दाम बढ़ाने की जगह संचरण क्षति कम करे, लेकिन ऐसा लगता है कि कंपनी ने क्षति कम करने का कोई प्रयास ही नहीं किया, जिसके फलस्वरूप बिजली दर में 40 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव पारित कर दिया। यह प्रस्ताव साबित करता है कि अधिकारियों ने कोई प्रयास या चिंता ही नहीं की दाम घटाने के उपर।  चिराग ने पूछा कि बिजली के मुद्दे पर आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार अधिकारियों के आगे क्यों बेबस हैं? क्यों हार मान चुके हैं?

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