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विशेषज्ञों के सुझाव, सलाह एवं ज्ञान का लाभ बिहार को जरूर मिलेगा : सीएम नीतीश

मुख्यमंत्री ने कहा कि इंडियन नेशनल गु्रप (आईएनजी) के इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ब्रिज एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग (आईएबीएसई) की स्थापना 1957 में हुई थी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में आईएमजी-आईएबीएसई एवं बीआरपीएनएनएल द्वारा ‘‘मेजर ब्रिजेज इन बिहार, इनोवेशन एण्ड चैलेंजेज’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आईएमजी-आईएबीएसई एवं बीआरपीएनएनएल को इस बात के लिए बधाई देता हूॅ कि यहां इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
पुलों के निर्माण, तकनीक, गुणवत्ता संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर इसमें चर्चा होगी और तत्पश्चात नई बातें सामने आएंगी जिसका लाभ हम सबको मिलेगा। उन्होंने कहा कि यहां बाहर से भी विशेषज्ञ आए हुए हैं लेकिन उनमें महिलाओं की संख्या कम दिख रही है। महिलाओं की भूमिका प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ी है। यहां भी अगर महिलाओं की संख्या बढ़ेगी तो उनके निर्देशन में पुल और बेहतर बनेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंडियन नेशनल गु्रप (आईएनजी) के इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ब्रिज एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग (आईएबीएसई) की स्थापना 1957 में हुई थी। यह देश एवं दुनिया में निर्माण कार्य पर चर्चा और अध्ययन करता है।
इसको लेकर एक पत्रिका का भी प्रकाशन किया जाता है। जिससे लोगों को कई अहम जानकारियां मिलती हैं। कार्यशाला का विषय ‘‘मेजर ब्रिजेज इन बिहार, इनोवेशन एंड चैलेंजेज’’ रखा गया है, जिसमें चर्चा के दौरान कई नई बातें सामने आएंगी। उन्होंने कहा कि राज्य के किसी भी क्षेत्र से राजधानी पटना पांच घंटे में पहुंचने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है, इसके लिए कई नए पुल-पुलियों एवं पथों का निर्माण कराया जा रहा है। 
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पर्यावरण में परिवर्तन होने से वर्षा की अनिश्चितता और अनिरंतरता से भी समस्याएं पैदा हो रही हैं। बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य रहा है जिसकी मुख्य वजह नेपाल में भारी वर्षा का होना है। वर्ष 2017 में ‘‘फ्लैश फ्लड’’ की स्थिति उत्पन्न हुयी थी, जिसके कारण राज्य की सडक़ों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पुल एवं सडक़ भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इस विषय पर भी चर्चा होनी चाहिए कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्यों में कैसे बेहतर तकनीक का प्रयोग किया जाय। उन्होंने कहा कि पुलों का निर्माण ऐसा हो कि नदियों के प्रवाह में अवरोध न हो। कोसी, गंकिए सोन, गंगा एवं अन्य नदियों पर पुलों का निर्माण बेहतर तकनीक के आधार पर कराया जा रहा है। 
गंगा नदी पर जेपी सेतु के समानान्तर और गांधी सेतु के समानांतर केंद्र के द्वारा पुलों का निर्माण कराया जा रहा है। गांधी सेतु के पूर्वी तरफ राज्य सरकार के द्वारा गंगा नदी पर एक और पुल का निर्माण कराया जा रहा है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने गंगा नदी पर बने राजेंद्र सेतु का उद्घाटन किया था, बचपन में मुझे पहली बार इसे करीब से देखने का मौका मिला था। केंद्र सरकार द्वारा इसके समानान्तर भी एक पुल का निर्माण कराया जा रहा है। 
राज्य सरकार द्वारा आरा-छपरा को जोडऩे वाले वीर कुंवर सिंह पुल का निर्माण पूर्ण हो गया है। सुल्तानगंज के पास भी गंगा नदी पर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। राज्य में एक्सट्रा केबल ब्रिज का भी निर्माण कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड अच्छा काम कर रहा है। वर्ष 2005-06 में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (बीआरपीएनएनएल) का टर्न ओवर 57 करोड़ 39 लाख रूपये था, वहीं वर्ष 2018-19 में यह 28 गुणा बढक़र 1600 करोड़ रुप, हो गया है। 
वर्ष 2005 से 2019 तक इसके द्वारा 2160 योजनाओं का सफलतापूर्वक निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है और विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य प्रगति की स्थिति में है। राज्य की अन्य एजेंसियों द्वारा भी निर्माण कार्य को बेहतर ढंग से किया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए, निर्माण कार्य समय पर होना चाहिए और उसका रखरखाव भी होना चाहिए। हमारे इंजीनियर इन चीजों पर ध्यान रखते हुए बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं। हम लोगों ने सडक़ों के निर्माण के लिए मेंटेनेंस पॉलिसी बनायी है।

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राज्य की सभी सडक़ें स्टेट हाईवे, डिस्ट्रिक्ट मेजर रोड एवं ग्रामीण सडक़ों का निर्माण कार्य बेहतर ढंग से हो रहा है। साथ ही उसका रखरखाव भी बेहतर होना चाहिए, इसके लिए इस पॉलिसी को लाया गया है। ओपीआरएमसी (आउटपुट एंड परफॉर्मेंस बेस्ड रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट) को 5 वर्ष से बढ़ाकर 7 वर्ष किया गया है। उन्होंने कहा कि लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून जो यहॉ लागू है, उसमें एक निश्चित समय अवधि के अंतर्गत लोगों की समस्याओं की सुनवाई और समाधान होता है। अब तक साढ़े चार लाख से ज्यादा शिकायतों का निपटारा किया गया है। 
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रोड मेंटेनेंस को भी लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दायरे में लाया गया है। अब यह जनता को अधिकार होगा कि सडक़ों की गुणवता की शिकायत कर सकते हैं और उनकी शिकायतों का एक निश्चित समय अवधि में निराकरण होगा। उन्होंने कहा कि जब भी हम सडक़ मार्ग से भ्रमण करते हैं तो सडक़ों की स्थिति के बारे में वहीं से अधिकारियों से चर्चा कर उसके रखरखाव का निर्देश देते हैं। 
उन्होंने कहा कि सडक़ों की तरह ही पुलों का भी रखरखाव जरुरी है। इसके लिए ब्रिज मेंटेंनेंस पॉलिसी बनायी जा रही है। मुख्यमंत्री का स्वागत पुष्प-गुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया। ‘‘मेजर ब्रिजेज इन बिहार, इनोवेशन एण्ड चैलेंजेज’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, आईएमजी-आईएबीएसई के अध्यक्ष सह विशेष सचिव, सडक़ एवं परिवहन विभागभारत सरकार आईके पांडेय, आईएमजी-आईएबीएसई के साइंटिफिक अध्यक्ष एडी नारायण, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष जितेंद्र श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, आईएमजी- आईएबीएसई के सचिव बीके सिन्हा, परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार सहित बिहार एवं बाहर से आये विशेषज्ञ, अभियंतागण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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