पटना, (जेपी चौधरी) : देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अवाम लोगों से कहा था कि लोगों को अब अपने से आत्म निर्भर बनना पड़ेगा। क्योंकि इस वैश्विक महामारी ने देश के साथ पूरे दुनिया झकझोर बनाकर रख दिया । कोरोना महामारी में बिहार के प्रवासी मजदूर पूरे देश में जाकर मकान से कारखाना तक उन्नति करने का काम किया । मगर एक महीने तक उसे भूखे रहना पड़ा । प्रवासी मजदूरों ने लोगों को कंधा से कंधा मिलाकर काम दिया। मगर वहां के कारखानों के मालिकों ने 10 दिन भी प्रवासी मजदूरों को खाना नहीं खिला सका। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों को नजदीक से देखा है। इसलिए उन्होंने कहा है कि अपने राज्य और जिला में ही रहकर आत्म निर्भर बनें और बिहार के लोगों को यही रोना है कि एक तरफ बाढ हैं दूसरे तरफ सूखाड़ की स्थिति है। इससे निजात कैसे पाएगा मगर अमेरिका का अखबार रिचर्स करके कहा कि किसी क्षेत्र में बाढ आता है तो वहा का मिट्टी मजबूत हो जाता है फसल ज्यादा उपजाऊ हो जाता है। बिहारियों कहना है हम जो बाहर रहते है हम अपने गांव में रहकर छोटा कुटीर उद्योग या फसल उपजाते है तो बाहर कमाने से बढिय़ा अपने घर में होगा । मजदूरो का कहना है कि सरकार ही सब कुछ फ्री में दे। जितना बिहारी मजदूर बिहार से बाहर में मेहनत करते हैं तो अगर वह घर में रहकर करते है बाहर से बढिया होगा। कोई साइकिल ,कोई रिक्शा ,कोई पैदल आ रहा है। वह तो नहीं देखना पड़ेगा। कनाडा में बिहार से भी ज्यादा बंजर भूमि था, पंजाबियों ने जाकर हरी क्रांति ला दी। कनाडा में सब्जी का बहुत बड़ा केंद्र है । यहां से सब्जी अमेरिका और पेरिस में जाता है । अगर लोग चाहे तो बिहार को भी हरी क्रांति बना सकता है । देश के पहला राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि बिहार उन्नति उसी समय करेगा जब लोग अपने आपको शर्मिंदा खत्म करेगा । ग्रहमंत्री ने प्रवासी बिहारियों को लाने के लिए छूट दिया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने साफ कह दिया कि बसों से नहीं ला सकते हैं। प्रवासी मजदूर बिहार, केरला , पांडुचेरी, गोवा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात , महाराष्ट्र , आसाम मैं ज्यादा और दिल्ली में है । यह सब प्रवासी मजदूर की संख्या लगभग 20 लाख है। सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार से बिहारी छात्रों और मज़दूरों को लाने हेतु विशेष ट्रेन चलाने का अनुरोध किया है। नहीं तो लाने में महीने भर लग जाएगा। क्योंकि बस लाने में भोजन उपलब्ध नहीं होगा। क्योंकि बहुत लंबा दूरी पर है । इसलिए मजदूर को लाने के लिए रेल उपलब्ध किया जाए। आप प्रवासी मजदूरों को स्वागत करेगे और प्रखंड स्तर पर करोटाइन में रखा जाएगा, और जांच कर उसको अपने – अपने घर भेजा जाएगा।